सहकारी पुनरोद्धार के प्रशासनिक मुखिया रहे ज्ञानेश कुमार

नीलमेघ चतुर्वेदी

इंदौर : हाल ही में भारतीय प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत कैबिनेट सेक्रेटरी रैंक के अधिकारी ज्ञानेश कुमार चुनाव आयुक्त नियुक्त किए गए है। ज्ञानेश कुमार अपने प्रशासनिक कर्म क्षेत्र में जौहर दिखाने के लिए प्रसिद्ध है। वह जिस जगह पदस्थ हुए, शासन के सपनों को बेहतर ढंग से समझा और प्रशासनिक टीम के संपूर्ण ऊर्जा के साथ जमीन पर उतारने के लिए जुट गए।6 जुलाई 2021 पहली बार केंद्र में पृथक सहकारिता मंत्रालय अस्तित्व में आया। कुछ समय बाद ज्ञानेश इसके सचिव नियुक्त किए गए। सालों से इस भारी भरकम क्षेत्र की समस्याएं लंबित थी। ज्ञानेश ने हर एक समस्या का प्रशासनिक समाधान खोजा। लोकतांत्रिक व्यवस्थागत परिपाटी के जरिए समाधान और क्रियान्वयन कराया। प्राथमिक कृषि सहकारी आंदोलन की बुनियाद पुरातनपंथी व्यवस्था से संचालित थीं।

व्यवसाय विकास योजना को लचीले स्वरूप में लागू करने के लिए आदर्श सहकारी उप नियमों का खाका तैयार करवाया। फलस्वरूप सड़ी गली व्यवस्थाओं को हटा पैक्स नए अवतार में प्रकट होने लगी। इस व्यवस्थागत बदलाव ने पैक्स को पारदर्शी, दक्ष और विकासमान संस्था के रूप में ढालने का रास्ता तैयार किया। पैक्स की सेवा और कारोबारी गतिविधि तेज करने के लिए चरणबद्ध कंप्यूटरीकरण का श्री गणेश हुआ। संचालन व्यवस्था में बायोमेट्रिक ने प्रवेश किया। जहां कंप्यूटराइजेशन हो चुका है वहां बायोमेट्रिक मिलान के बगैर पत्ता भी नहीं हिलेगा। यानी गबन घोटाले दूर दूर तक नहीं फटकेंगे। विभिन्न सरकारी योजनाएं सहकारिता मंत्रालय की तालमेल क्षमता से संचालित होंगी। खाद्यान भंडारण क्षमता बढ़ेगी, जो अभी कुल उत्पादन का 47 % ही है। इस महत्वाकांक्षी योजना के सम्पूर्ण क्रियान्वयन पर यह विश्व की सबसे बडी और विकेंद्रीकृत योजना होगी।

अभी तक देश के सहकारिता क्षेत्र के अद्यतन और पर्याप्त डाटा उपलब्ध नहीं थे। ज्ञानेश ने संघात्मक सहकारी भावना के साथ इस कमी को दूर करने में योगदान किया। पैक्स को जन सामान्य के लिए सेवा केंद्र में विकसित करने, प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र बनाने, नवीन किसान उत्पादक केंद्र निर्माण, एलपीजी वितरक लाइसेंस दिलाने, प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र के रूप में उभारने, राष्ट्रीय स्तर की तीन सहकारिताओं (जैविक कृषि, प्रमाणित बीज और निर्यात) के गठन, पैक्स को पानी समिति के रूप में तैयार करने, केंद्रीय सहकारिता कार्यालय को मजबूत बनाने, पैक्स में नकदी जमा की सीमा बढ़ाने, शकर सहकारिताओं को भूतलक्ष्यी प्रभाव से 10 हजार करोड़ रुपए की राहत दिलाने, सहकारी नीति निर्माण की रूपरेखा तैयारी और राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय स्थापना की तैयारी में ज्ञानेश की भूमिका सहकारिता मंत्रालय की नोटशीट की चौखट पर सदैव जीवंत रहेगी।

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