तेज धूप और और तपन के साथ आज से शुरू होगा नौतपा, 9 दिन तक तपेगी धरती

नवभारत न्यूज
रीवा, 24 मई, नौतपा के पहले ही समूचे जिले में आसमान से आग बरस रही है, तापमान 42 डिग्री के ऊपर पहुंच चुका है. शनिवार से नौतपा लगेगा और खूब तपेगा. तीन दिन तपने के बाद बूंदाबांदी की संभावना है और नौतपा के बाद मानसून आने की उम्मीद है. 25 मई से लेकर 2 जून तक नौतपा रहेगा. इस दौरान तापमान भी 43 से 44 डिग्री पहुंचेगा.
गर्मी धीरे-धीरे अपना प्रचंड रूप धारण कर रही है. आज से 9 दिन तक तापमान सबसे अधिक होगा और इस अवधि को ज्योतिष शास्त्र में नौतपा कहा जाता है. इस अवधि में सूर्य व पृथ्वी के बीच की दूरी सबसे कम हो जाएगी. सूर्य 25 मई को सुबह को 07 बजकर 40 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे जो अगले 15 दिनों तक रोहणी नक्षत्र में भ्रमण करेंगे. ग्रहराज सूर्य के रोहणी नक्षत्र के भ्रमण के शुरुआत के नौ दिन को ज्योतिष शास्त्र में नौतपा कहा जाता है और इन्ही नौ दिनों में सूर्य की सीधी किरने पृथ्वी पर पडऩे से भीषण गर्मी होती है. 9 दिन तक भीषण गर्मी पड़ेगी. मौसम विभाग की माने तो 27 और 28 मई को बूंदाबांदी की संभावना है और बादल रहेगें. ऐसे में गर्मी से कुछ राहत मिलेगी, लेकिन उमस भरी गर्मी बढ़ जायेगी. नौतपा में बारिश का होना अच्छा नही माना जाता है. इस बार मार्च महीने से ही भीषण गर्मी पडऩी शुरू हो गई थी और अच्छी गर्मी पड़ी. उम्मीद है कि जिस तरह से गर्मी पड़ी है बारिश भी अच्छी होगी. शुक्रवार की दोपहर बादल रहे, जिसकी वजह से उमस भरी गर्मी बढ़ गई. नौतपा में तापमान बढऩे की संभावना है.
नौतपा में करें दान और सूर्य को दे जल
हस्तरेखा एवं वास्तु विशेषज्ञ पं. मोहनलाल द्विवेदी ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में आ रही हर समस्या से आपको छुटकारा मिल जाए और आपको करियर में तरक्की प्राप्त हो तो नौतपा में जरूरतमंद लोगों को कपड़े, जूते-चप्पल, पानी और खाने की चीजों का दान करें.सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. ध्यान रहे कि जल चढ़ाने के लिए तांबे के कलश का ही इस्तेमाल करें, जिसमें लाल फूल, अक्षत, गुड़, रोली जरूर मिलाएं. जल चढ़ाते समय पूर्व दिशा की तरफ अपना मुंह रखें फिर जल अर्पित करें. सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए सबसे से उत्तम समय सूर्योदय होता है. इस वक्त जल अर्पित करें. जल चढ़ाते वक्त सूर्य देव के मंत्रों या गायत्री मंत्र का जाप करें. इस दौरान ध्यान रहे कि उच्चारण सही हो. जब आप जल अर्पित कर रहें, होंगे उस वक्त जूते-चप्पल बिल्कुल धारण न करें और एक पैर ऊपर उठा कर ही सूर्य देव को अर्घ्य दें.सच्चे मन से सूर्य देव से प्रार्थना करें और अगर पूजा में कोई भूल हो गई हो तो भूलचूक की क्षमा भी मांगें.

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