पांच हजार जुर्माने सहित निरस्त की याचिका, एक माह में जुर्माना न भरा तो होगी अवमानना कार्रवाई
जबलपुर: हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति जीएस अहलुवालिया की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई आगे बढ़ाने झूठ बोले जाने के रवैये को आड़े हाथों लिया। इसी के साथ याचिका पांच हजार जुर्माना सहित निरस्त कर दी। यही नहीं एक माह के भीतर जुर्माना राशि अदा न करने की सूरत में अवमानना कार्रवाई की भी व्यवस्था दे दी। इस सिलसिले में हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को दिशा-निर्देश दे दिए गए हैं।
दरअसल, केयर हेल्थ इंश्योरेंस, गुरुग्राम ने जबलपुर निवासी 71 वर्षीय महिला के विरुद्ध याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान कनिष्ठ अधिवक्ता मयंक ने खड़े होकर कहा कि इस प्रकरण में बहस करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता जयपुर गए हैं। लिहाजा, सुनवाई की तिथि आगे बढ़ाने का निवेदन स्वीकार किया जाए। संदेश होने पर न्यायमूर्ति जीएस अहलुवालिया ने शर्त रख दी कि यदि जयपुर गए हैं, तो ट्रेन या फ्लाइट की टिकट या रास्ते में पड़ने वाले टोल बूथ की रसीद प्रस्तुत कर दी जाए। इसके लिए 10 मिनिट का समय दिया जाता है। जब दूसरे चरण में सुनवाई हुई तो एक अन्य अधिवक्ता ने अवगत कराया कि मामले में बहस करने वाले वकील कहीं नहीं गए हैं, वे शहर में ही हैं।
इस तथ्य के रेखांकित होने के साथ ही कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यह चौंका देने वाला मामला है कि वकील के द्वारा पेशी को आगे बढ़ाने के लिए झूठा बहाना बनाया गया। इस मामले में पहले कोई कास्ट नहीं लगाई गई थी पर अब जब यह तथ्य सामने आ चुका है कि बहस करने वाले वकील कहीं नहीं गए हैं और घर पर ही हैं तो कोर्ट के सामने झूठा बहाना बनाने के आधार पर यह याचिका निरस्त की जाती है। याचिकाकर्ता को एक माह के भीतर पांच हजार रुपये इस कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करने के आदेश दिए जाते हैं। यदि याचिकाकर्ता एक माह के भीतर यह रकम जमा नहीं करते हैं तो रजिस्ट्रार जनरल को यह आदेश दिया जाता है कि वे इस रकम की वसूली के लिए कार्यवाही शुरु करने के साथ ही अवमानना कार्रवाई संस्थित करें।