खरगोन क्षेत्र में संघ परिवार का प्रभाव, कांग्रेस के लिए चुनौती

 1989 के बाद केवल दो बार जीती है कांग्रेस

मिलिंद मुजुमदार
इंदौर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन सेवा भारती और वनवासी कल्याण परिषद के कारण खरगोन संसदीय क्षेत्र में 60 के दशक से ही भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी और भाजपा का प्रभाव रहा है। इस लोकसभा सीट का गठन 1962 में किया गया था। तब लोकसभा का पहला चुनाव 1957 में विधायक बने संघ के प्रचारक रामचंद्र बड़े ने जीता था। स्वर्गीय रामचंद्र बड़े 1971 में भी यहां से जीते। उन्होंने सेंधवा, बड़वानी और अंजड़ के आदिवासी क्षेत्रों में वनवासी कल्याण परिषद के माध्यम से खूब सेवा कार्य किए। इस वजह से इस सीट का चरित्र बदल गया। उन्हें बड़े साहब के नाम से लोकप्रियता हासिल थी। कांग्रेस की ओर से केवल सुभाष यादव ही ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने 1980 और 1984 में लगातार दो बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। अन्यथा यहां कांग्रेस का कोई प्रत्याशी रिपीट नहीं हुआ है। 1989 के बाद से कांग्रेस यहां केवल 1999 और 2007 में ही जीत सकी है। 1999 में गुर्जर समाज के नेता ताराचंद पटेल ने जीत दर्ज की थी। जबकि 2007 के उपचुनाव में अरुण यादव ने कृष्ण मुरारी मोघे को हराया था। 2008 के परिसीमन के बाद खरगोन संसदीय क्षेत्र आदिवासी सुरक्षित क्षेत्र में बदल गया। इसके बाद हुए तीन लोकसभा चुनाव में लगातार भाजपा यहां से जीत रही है।

खरगोन संसदीय क्षेत्र में बारेला भील, भिलाला और कोरकू आदिवासी समुदाय रहता है। इनके अलावा पाटीदार, यादव, कुर्मी और कुशवाहा समाज के भी काफी मतदाता हैं। इनमें बरेला, भिलाला और कोरकू समाज हमेशा भाजपा का साथ देता है। इसी तरह पाटीदार कुर्मी और कुशवाहा समाज के वोटर भी भाजपा के परंपरागत मतदाता हैं। कांग्रेस को भील, यादव, मुस्लिम और बलाई समाज के मतदाता परंपरागत रूप से वोट करते हैं। इस लोकसभा में मुख्य रूप से बड़वानी जिला आता है और इसमें कुछ हिस्सा खरगौन जिला का भी शामिल है। अगर इसकी लोकेशन की बात की जाए तो यह महाराष्ट्र बॉर्डर से सीधे संपर्क में है।खंडवा की तरह यह लोकसभा सीट भी प्राकृतिक रूप से बेहद सुंदर है। यहां पर बनीं सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखला बेहद मनोरम हैं। खरगौन लोकसभा सीट में कुल आठ विधानसभाएं आती हैं, जिनमें खरगौन जिले की कसरावद, महेश्वर, खरगौन और भगवानपुरा शामिल हैं, वहीं बड़वानी जिले की सेंधवा, राजपुर, पानसेमल, बड़वानी आती हैं। इन विधानसभाओं में फिलहाल तीन पर भाजपा काबिज है तो वहीं 5 पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया हुआ है। भाजपा ने 2023 के चुनाव में महेश्वर,खरगोन और पानसेमल में जीत दर्ज की थी। जबकि सेंधवा, राजपुर, भगवानपुरा, कसरावद और बड़वानी पर कांग्रेस का कब्जा है।

यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से बहुत उन्नत रहा है और यहां पर कई राजाओं के शासन के चिन्ह आज भी दिखाई देते हैं।
खरगौन लोकसभा सीट में रामायण, महाभारत काल के कई स्मारक और चिन्ह आज भी दिखाई देते हैं जिसकी वजह से यह श्रेत्र श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है।वहीं भोज, सिंधिया, होलकर और मुगल राजाओं के कई स्मारक यहां पर आज भी मौजूद हैं। राजाओं के शासनकाल से पहले पाषाण युग की बात की जाए तो इस क्षेत्र में उस युग के कई हथियार भी पाए गए हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि इस क्षेत्र का इतिहास कितना पुराना है। कांग्रेस ने बारेला आदिवासी समाज के पोरलाल खरते को तो भाजपा ने इसी समाज के गजेंद्र पटेल को उम्मीदवार बनाया है। गजेंद्र पटेल 2019 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं।

2019 के लोकसभा परिणाम

यहां पर अगर 2019 के चुनावों की बात की जाए तो गजेंद्र उमराव सिंह पटेल ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. वहीं कांग्रेस ने गोविंद मुजाल्दा को चुनावी मैदान में उतारा था. इस चुनाव में बीजेपी के गजेंद्र उमराव सिंह को साढ़े सात लाख से ज्यादा वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस के गोविंद मुजाल्दा को 5.71 लाख वोटों से संतोष करना पड़ा था. गजेंद्र उमराव सिंह ने करीब 2 लाख वोटों से गोविंद मुजाल्दा को करारी शिकस्त दी थी.

ये रहे अभी तक सांसद

1962 – रामचंद्र बडे भारतीय जनसंघ
1967 – शशि भूषण वाजपेई कांग्रेस
1971 – रामचंद्र बडे भारतीय जनसंघ
1977- रामेश्वर पाटीदार जनता पार्टी
1980-सुभाष यादव कांग्रेस
1984-सुभाष यादव कांग्रेस
1989-रामेश्वर पाटीदार भाजपा
1991-रामेश्वर पाटीदार। भाजपा
1996-रामेश्वर पाटीदार भाजपा
1998-रामेश्वर पाटीदार भाजपा
1999-ताराचंद पटेल कांग्रेस
2004-कृष्ण मुरारी मोघे भाजपा
2007 -अरुण यादव उपचुनाव कांग्रेस
2009- माखनसिंह सोलंकी भाजपा
2014 -सुभाष पटेल भाजपा
2019- गजेंद्र पटेल भाजपा

यह विधानसभा सीटें आती है खरगोन लोकसभा में
महेश्वर (दलित सुरक्षित)
खरगौन( सामान्य)
कसरावद (सामान्य)
भगवानपुरा (आदिवासी)
सेंधवा (आदिवासी)
राजपुर (आदिवासी)
पानसेमल (आदिवासी)
बड़वानी (आदिवासी)

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