बिम्सटेक मंत्रियों ने समुद्री परिवहन सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए

बैंकॉक,04 अप्रैल (वार्ता) थाईलैंड के बैंकॉक में बिम्सटेक मंत्रिस्तरीय बैठक (एमएम) के 20वें सत्र में मंत्रियों ने समुद्री परिवहन सहयोग पर बिम्सटेक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह क्षेत्रीय समुद्री साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

बैठक में नेताओं के दृष्टिकोण, निर्णयों और निर्देशों को रेखांकित करते हुए छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की घोषणा के मसौदे को भी अंतिम रूप दिया गया जिसे आज शिखर सम्मेलन में अपनाया गया। बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भाग लिया।

एक बयान में कहा गया है कि बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) की मंत्रिस्तरीय बैठक प्रगति की समीक्षा करने, प्रमुख समझौतों को अंतिम रूप देने और क्षेत्रीय सहयोग के भविष्य के पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए आयोजित की गई थी।

बयान में कहा गया है कि गुरुवार को आयोजित 20वीं एमएम के मुख्य परिणाम निम्नलिखित हैं जिनमें 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की घोषणा के मसौदे को अंतिम रूप देना, जिसमें नेताओं के दृष्टिकोण, निर्णयों और निर्देशों को रेखांकित किया जाएगा जिसे शिखर सम्मेलन में अपनाया जाएगा। अठाईस मार्च 2025 को म्यांमार और थाईलैंड में आए भूकंप के प्रभाव पर बिम्सटेक नेताओं द्वारा संयुक्त वक्तव्य के मसौदे को अंतिम रूप देना जिसमें भारत में आपदा प्रबंधन में बिम्सटेक उत्कृष्टता केंद्र की शीघ्र स्थापना को रेखांकित किया जाएगा। संयुक्त वक्तव्य के मसौदे को शिखर सम्मेलन में अपनाया जाएगा। बिम्सटेक की भावी दिशा पर प्रतिष्ठित व्यक्तियों के समूह की रिपोर्ट पर विचार जिसमें बिम्सटेक में सुधार और पुनरुद्धार के लिए सिफारिशें शामिल हैं।

इसी तरह 24वीं और 25वीं बिम्सटेक वरिष्ठ अधिकारियों की बैठकों की रिपोर्टों को मंजूरी दी गयी जिसमें सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने और बिम्सटेक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रमुख निर्णय और पहल शामिल हैं। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार; सार्वजनिक स्वास्थ्य; मानव संसाधन विकास; तथा पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर बिम्सटेक क्षेत्रीय कार्य योजनाओं को मंजूरी दी गई जो संबंधित क्षेत्रों के लिए कार्यान्वयन के लिए रूपरेखा के रूप में काम करेंगी। इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (आईओआरए) और बिम्सटेक; ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र (यूएनओडीसी) और बिम्सटेक; तथा बिम्सटेक सदस्य देशों के बीच महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया तथा स्वास्थ्य प्रणालियों के लचीलेपन को मजबूत करने पर विश्व बैंक और बिम्सटेक के बीच अंतिम रूप से तैयार अवधारणा नोट और समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दी गई।

बयान में कहा गया है कि बैठक में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बिम्सटेक कार्य योजना (2023-2025) के कार्यान्वयन के लिए विश्व बैंक से वित्तीय सहायता के लिए संस्थागत व्यवस्था को एवं बिम्सटेक राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुखों की चौथी बैठक के विचार-विमर्श को मंजूरी दी गई। इसी तरह बिम्सटेक गृह मंत्रियों की बैठक पर अवधारणा नोट को मंजूरी , राजकोषीय और मौद्रिक नीति पर विशेषज्ञ समूह की स्थापना पर अवधारणा नोट को मंजूरी , वित्तीय वर्ष (2014-2015) के लिए लेखा परीक्षकों के पैनल की लेखा परीक्षा रिपोर्ट को मंजूरी , वित्तीय वर्ष (2023-2024) के लिए सचिवालय के बजट और वित्तीय वर्ष (2025) के लिए अनुमानित बजट को और उष्णकटिबंधीय चिकित्सा पर बिम्सटेक उत्कृष्टता केंद्र पर अवधारणा नोट को मंजूरी दी गयी।

बैठक के दौरान मंत्रियों ने समुद्री परिवहन सहयोग पर बिम्सटेक समझौते पर हस्ताक्षर किए जो क्षेत्रीय समुद्री साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बिम्सटेक और आईओआरए के साथ-साथ बिम्सटेक और यूएनओडीसी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी देखे जिससे आपसी हितों के क्षेत्रों में साझेदारी को औपचारिक रूप मिला।

मंत्रियों ने बिम्सटेक महासचिव की रिपोर्ट में उल्लिखित प्रगति की सराहना की एवं बिम्सटेक ढांचे के तहत विभिन्न क्षेत्रों में क्षेत्रीय सहयोग में प्रगति का समर्थन किया। उन्होंने 20वें एमएम की मेजबानी में थाईलैंड के नेतृत्व की भी सराहना की।उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 6वां बिम्सटेक शिखर सम्मेलन संगठन की पूरी क्षमता को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
बिम्सटेक में बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के सात देश बंगलादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं। यह सात व्यापक क्षेत्रों में क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाता है जिनमें कृषि और खाद्य सुरक्षा; कनेक्टिविटी; पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन; लोगों से लोगों का संपर्क; विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार; सुरक्षा और व्यापार, निवेश और विकास है।

सहयोग में आठ उप-क्षेत्र जिसमें नीली अर्थव्यवस्था, पर्वतीय अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, आपदा प्रबंधन, मत्स्य पालन और पशुधन, गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य और मानव संसाधन विकास भी शामिल हैं।

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