नयी दिल्ली, 01 (वार्ता) दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने मंगवार को कहा कि दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के दंगों में प्रदेश सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा की कथित संलिप्तता को लेकर आगे की जांच के आदेश दिए हैं, इसलिए उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
श्री यादव ने मीडियाकर्मियों से कहा कि आज राउज एवेन्यू कोर्ट ने पाया कि श्री मिश्रा के खिलाफ संज्ञेय अपराध का मामला बनता है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी वैभव चौधरी ने श्री मिश्रा के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि श्री मिश्रा के खिलाफ आगे की जांच आवश्यक है, क्योंकि उनके खिलाफ संज्ञेय अपराध का मामला पाया गया है।
उन्होंने कहा कि यदि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और श्री मिश्रा में जरा सी भी नैतिकता बची है, तो श्री मिश्रा को मंत्री पद से तुरंत प्रभाव से इस्तीफा देना चाहिए, ताकि निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि श्री मिश्रा के मंत्री पद पर रहते हुए निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को संवैधानिक पदों की गरिमा की रक्षा करेंगी।”
कांग्रेस नेता ने कहा कि यह स्पष्ट है कि दिल्ली को दंगों की आग में झोंकने के लिए भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समान रूप से जिम्मेदार हैं। जहां एक ओर भाजपा नेताओं ने भड़काऊ बयान दिए, वहीं दूसरी ओर तत्कालीन मुख्यमंत्री मूकदर्शक बने रहे और उन्होंने शांति स्थापित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुरलीधर (जिन्होंने 2020 के दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की आलोचना की थी) का स्थानांतरण कर दिया गया था। यह स्थानांतरण ऐसे समय में किया गया था, जब उन्होंने भाजपा नेताओं कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर के भड़काऊ भाषणों पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। यह चिंता का विषय है कि जब उन्होंने भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया, उसके ठीक एक दिन बाद ही उनका स्थानांतरण कर न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर एक गंभीर प्रहार हुआ था।