यूके में उपयोग से बाहर हुई कोरोना वैक्सीन

इधर वेक्सीन सर्टिफिकेट से पीएम की तस्वीर हटी, तस्वीर हटाने पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने आचार संहिता का हवाला दिया, जानें इनसाइड स्टोरी

नई दिल्ली : कोरोना महामारी के दौर में वैक्सीनेशन करवाने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सर्टिफिकेट जारी किए गए थे, जिस पर नीचे की ओर पीएम मोदी की तस्वीर होती थी. तस्वीर में ‘Together, India will defeat COVID-19’ कैप्शन होता था. हालांकि, अब कैप्शन तो मौजूद है, लेकिन पीएम मोदी की फोटो नही है. यूके में बैन हुई कोरोना वैक्सीन का साइड इफेक्ट भारत में भी देखने को मिल रहा हैं, तथा इस पर हर और चर्चा जारी हैं. जानें इसकी इनसाइड स्टोरी

बता दें कि वैक्सीन निर्माता एस्ट्राजेनेका ने कहा है इसकी वैक्सीन से साइड इफैक्ट हो सकते हैं. ब्रिटेन में चल रहे एक केस के दौरान एस्ट्राजेनेका ने इस बात को कबूल किया कि उसकी वैक्सीन से खून के थक्के जम सकते हैं. एस्ट्राजेनेका के फॉर्मूले पर ही भारत में कोविशील्ड वैक्सीन बनाई गई थी.वहीं, साइड इफेक्ट्स के मामलों की वजह से इस वैक्सीन के खिलाफ जांच शुरू की गई और कानूनी कार्रवाई हुई, इसके बाद इसका उपयोग यूके में नही हो रहा है. यूके सरकार एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की भविष्य में आपूर्ति का आदेश नहीं दे रही है. मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (एमएचआरए) अभी भी इस वैक्सीन से संभावित दुष्प्रभावों पर नजर रखती है.

भारत में कोरोना सर्टिफिकेट से पीएम की फोटो हटाने का मामला फिलहाल तब फिर सामने आया जब संदीप मनुधाने नाम के एक एक्स यूजर ने अपने कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट की तस्वीर शेयर करते हुए बताया कि इस पर से पीएम की फोटो को हटा दिया गया है. उन्होंने लिखा, “मोदी जी अब कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट पर नजर नहीं आ रहे हैं. इसे चेक करने के लिए अभी वैक्सीन सर्टिफिकेट डाउनलोड किया, उनकी तस्वीर इस पर से गायब हो चुकी है.” अब ऐसे में सवाल उठाता है कि आखिर पीएम मोदी की तस्वीर को कोविड सर्टिफिकेट पर से क्यों हटाया गया है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है कि वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट से पीएम मोदी की तस्वीर इसलिए हटाई गई है, क्योंकि लोकसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू है.वैसे ये पहला मौका नहीं है, जब पीएम मोदी की तस्वीर को कोविड वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट से हटाया गया है. 2022 में गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड, पंजाब और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी प्रधानमंत्री की तस्वीर सर्टिफिकेट से हटा दी गई थी. चुनाव आयोग की तरफ से ऐसा करने का निर्देश दिया गया था. पीएम मोदी की तस्वीर को लेकर चर्चा ऐसे समय पर हो रही है, जब कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर विवाद चल रहा है.

उधर लंदन में लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद एस्ट्राजेनेका कंपनी ने साइड इफेक्ट्स की बात कबूली तो है परंतु अब सवाल उठता है कि आगे क्या होगा? अगर कंपनी कुछ खास मामलों में वैक्सीन की वजह से गंभीर बीमारी या मौत होने की बात मानती है तो उसे भारी मुआवजा देना पड़ सकता है.ज्ञात हो कि कोरोना महामारी के दौरान पूरी दुनिया में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन को कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया समेत कई नामों से बेचा गया. फिलहाल, इस वैक्सीन की वजह से होने वाली मौतों समेत कई गंभीर बीमारियों को लेकर एस्ट्राजेनेका पर केस दायर किया गया था. कंपनी पर आरोप है कि उसने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की मदद से जो वैक्सीन तैयार की है, उसके कई साइड इफेक्ट्स सामने आए हैं. कंपनी ने अदालत में पेश किए दस्तावेजों में पहली बार माना है कि कोविड-19 वैक्सीन की वजह से साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, लेकिन ऐसे मामलों की संख्या काफी कम होने का दावा किया गया है.

इस वेक्सीन मे समस्या को जाने

एस्ट्राजेनेका वैक्सीन और दुर्लभ रक्त के थक्कों के बीच संबंध का संभावित स्पष्टीकरण मिला था, उन्होंने पता लगाया कि वैक्सीन में मौजूद एडेनोवायरस (जिसका उपयोग कोशिकाओं को आनुवंशिक निर्देश देने के लिए किया जाता है) रक्त में पाए जाने वाले प्रोटीन, जिसे प्लेटलेट फैक्टर 4 कहा जाता है, से बंध सकता है। उनका मानना ​​है कि अत्यंत दुर्लभ मामलों में, यह एक श्रृंखला प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकता है। प्रतिरक्षा प्रणाली, जिसके परिणामस्वरूप रक्त के थक्के विकसित हो सकते हैं.
इस क्षेत्र में अभी और अधिक शोध किये जाने की आवश्यकता है. अध्ययन लेखकों को उम्मीद है कि वैज्ञानिक इन अत्यंत दुर्लभ दुष्प्रभावों के जोखिम को कम करने के लिए इन निष्कर्षों पर काम करने में सक्षम होंगे, साथ ही भविष्य के टीकों के विकास की जानकारी भी देंगे.

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