प्राकृतिक उपहारों के बावजूद वाजिब हक के लिए मोहताज पन्ना जिला, देश के पर्यटन नक्शे के लिए भी महफूज

पन्ना पर्यटन पर विशेष – सुरेश पाण्डेय पन्ना
पन्ना :जिले मे जितने प्राकृतिक एवं एतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल उपलब्ध हैं शायद ही प्रदेश में किसी जिले में स्थित हैं लेकिन प्रशासनिक उदासीनता कहे या जिले की जनप्रतिनिधियों की अकर्मण्यता कहे लेकिन इन सबके बावजूद आज तक विश्व तो दूर भारत के ही पर्यटन नक्शे पर पन्ना जिले का नाम दर्ज नहीं हो पाया हैं इसके विपरीत पडोसी खजुराहो जहां एक मात्र प्राचीन मंदिर हैं उसे विश्व पर्यटन में स्थान मिल चुका है। जबकि खजुराहो से भी 300 वर्ष अधिक पुराना सिद्धनाथ आश्रम जहां पर जहां पर अगस्त्य मुनि आश्रम भी है जहां पर अगस्त्य मुनि स्वयं रहे और भगवान राम वनवास के दौरान उनके आश्रम पहुंचे थे इसके अलावा सारंग स्थित सुतीक्ष्ण मुनि का आश्रम वहां भी भगवान राम वनवास के समय रहे तथा कितने अनेकोंनेक एतिहासिक दर्शनीय, प्राकृतिक मनोरम दृश्य, पन्ना टाइगर रिजर्व, डायमंड माइंस आदि सब कुछ है। लेकिन भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में नहीं दर्ज करा सका। ज्ञात हो कि गुप्तकालीन 5 वीं से 6 वीं सदी के प्राचीन मंदिर इसकी प्राचीनता का बखान कर रहे हैं। रामपथ गमन मार्ग में जिले के चार स्थान चिह्नित हैं, वहीं मडला के पांडव फॉल और अमानगंज क्षेत्र के पंडवन का संबंध यहां महाभारत काल में पांडवों के बनवास से जुड़े हैं। शहर में दर्जनों हैरिटेज साइटें हैं, जिनका दीदार करना अपने आप में अलग अनुभव होता है।
पन्ना टाइगर रिजर्व विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यहां वर्तमान में 80 से भी अधिक बाघ और शावक हैं। रनेह फॉल और पांडव फॉल में लोग पिकनिक मानने पहुंचते हैं। यह जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी. दूर है। वाइल्ड लाइफ से जुड़े लोग यहां फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी करते हैं। शूटिंग के लिए भी अनुमति मिलती है।
एतिहासिक नचने का चौमुखनाथ मंदिरः- जिले का प्रसिद्ध शिवमंदिर है। यह सलेहा के नचने गांव में स्थित है। केंद्र संरक्षित स्मारक है। यहां 4 वी से 6वीं सदी गुप्तकालीन पार्वती मंदिर भी है। यहां बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मनाने पहुंचते हैं।
यहां पहुंचे थे भगवान राम, अगस्त मुनि आश्रम सिद्धनाथः-यहां भी भगवान राम पहुंचे थे। यहां बना मंदिर 6वीं शताब्दी का बताया जाता है। समुचित संरक्षण नहीं मिलने से यहां अन्य मंदिरों के अवशेष जहां-तहां बिखरे पड़े हैं। नव वर्ष सहित अन्य दिनों भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां भगवान के दर्शन करने जाते हैं और यही परिवार सहित पिकनिक भी मनाते हैं। यहां पहुंचने का एकमात्र मार्ग बारिश के दिनों में नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण बंद हो जाता था। जिसे देखते हुए यहां पुल का भी निर्माण कराया जा रहा है। यहां चार पहिया वाहनों से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सुतीक्ष्ण आश्रम, सारंग आश्रमः-सारंग आश्रम जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी. की दूरी पर है। यह पिकनिक स्पॉट के लिए भी जाना जाता है। यहां सालभर धार्मिक आयोजनों का क्रम भी चलता रहता है। जिला मुख्यालय से लगा होने के कारण यहां हमेशा लोगों का आना जाना भी लगा रहता है। पन्ना-पहाड़ीखेड़ा मुख्य मार्ग में होने से यहां पहुंचना सुलभ है। जनपद के समूहिक विवाह कार्यक्रम भी इसी आश्रम से कराए जाते हैं।
झोर का चौपड़ा एवं गौर चौपड़ा मंदिरः-झोर का चौपड़ा और चौपड़ा मंदिर दोनों स्थान जिला मुख्यालय में ही हैं। झोर का चौपड़ा मनोरम प्राकृतिक स्थल है। शहर के लोगों के लिए यह फेवरेट पिकनिक स्पॉट है। यहां के चौपड़ा का जल स्तर गिरने से पानी की समस्या बनी हुई है। यहां स्थित रामभक्त हनुमान की प्राचीन प्रतिमा के दर्शन करने के साथ ही लोग परिवार के साथ निकनिक भी मनाते हैं। वहीं चौपड़ा मंदिर का प्रबंधन प्राणनाथ मंदिर ट्रस्ट देखता है। महाराजा छत्रसाल की 400 साल से भी ज्यादा पुरानी गढ़ी के नीचे है। बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
हनुमानभाटा, पवई कलेही मंदिरः-यह भी पवई के दो प्रसिद्ध धार्मिक स्थल होने के साथ ही पिकनिक स्पॉट भी हैं। न्यू इयर पर जहां हनुमानभाटा में भगवान के दर्शन करने और पिकनिक मनाने के लिए करीब एक लाख लोग पहुंचते हैं वहीं चैत्र और शारदये नवरात्र में कलेही मंदिर में प्रतिदिन हजारों की भीड़ उमड़ती है। दोनों धार्मिक स्थल जिला मुख्यालय से 75 से 80 किमी. की दूरी पर हैं। इनमें श्रद्धालुओं के सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम हैं। हनुमानभाट के पास ही ढोलियामठ राज्य संरक्षित स्मारक है।
श्रेयांसगिरी सलेहाः- श्रेयांसगिरी जिले का प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल है। यहां महावीर स्वामी की 5-6 वीं सदी की प्राचीन प्रतिमाएं स्थित हैं। यहां बडी संख्या में अन्य धर्माे के लोग भ्रमण करने के लिए भी आते हैं।

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