शाजापुर, 5 अप्रैल. संभवत: यह पहला लोकसभा चुनाव होगा कि शाजापुर-देवास दोनों जिलों में कांग्रेस के पास एक भी विधायक नहीं है. शाजापुर की तीनों सीट पर भाजपा का कब्जा है, तो देवास की सभी सीटों पर भाजपा विधायक हैं. विधानसभा में सभी हारे कांग्रेस प्रत्याशी लोकसभा में कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मालवीय को जिताने का दम भर रह ेहैं. अब देखना है कि कांग्रेसियों का दम कितना सफल और कितना असफल होता है.
गौरतलब है कि शाजापुर-देवास-आगर-सीहोर जिले से लोकसभा क्षेत्र का निर्माण हुआ है. शाजापुर की तीन विधानसभा, देवास की तीन विधानसभा, सीहोर की एक और आगर जिले की एक विधानसभा. इन विधानसभाओं पर भाजपा का कब्जा है. केवल सुसनेर विधानसभा में कांग्रेस विधायक है, लेकिन यह विधानसभा संसदीय क्षेत्र की दृष्टि से राजगढ़ लोकसभा में आती है. 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सभी दिग्गज चुनाव हार गए है. शाजापुर से हुकुमसिंह कराड़ा, शुजालपुर से रामवीरसिंह सिकरवार, कालापीपल से कुणाल चौधरी, सोनकच्छ से सज्जनसिंह वर्मा, आगर से विपिन वानखेड़े सहित अन्य कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव हारे थे. लेकिन सभी हारे प्रत्याशी इस लोकसभा में राजेंद्र मालवीय की जीत का दम भर रहे हैं. अब देखना है कि विधानसभा के हारे प्रत्याशी लोकसभा में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के लिए कितना दम भर पाते हैं. वो बात और है कि शाजापुर-देवास संसदीय क्षेत्र की इन आठों विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के सभी प्रत्याशी 6 माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में चुनाव हार चुके है.
कैसे जीतेगी कांग्रेस…?
कांग्रेस की आपसी गुटबाजी और नेताओं का अपने-अपने आकाओं के क्षेत्र में जाना कांग्रेस के लिए देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र का चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं है. शुजालपुर से दो चुनाव हारने वाले महेंद्र जोशी, भोपाल संसदीय क्षेत्र के प्रभारी हैं, जबकि शाजापुर उनका गृह जिला है, लेकिन वे शाजापुर की जगह भोपाल संसदीय क्षेत्र के प्रभारी बनाए गए हैं. कालापीपल के पूर्व विधायक कुणाल चौधरी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के साथ अधिकांश समय प्रदेश के दौरे पर हैं. और जो कांग्रेसी थे, उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली. अब देवास में सज्जनसिंह वर्मा और शाजापुर में हुकुमसिंह कराड़ा व रामवीरसिंह सिकरवार कांग्रेस की जीत की रणनीति में लगे हुए हैं. अब देखना यह है कि इस बार का लोकसभा चुनाव कोई चमत्कार दिखा पाता है या फिर औपचारिकता बनकर रह जाता है.
जातिगत समीकरण महत्वपूर्ण
शाजापुर-देवास संसदीय क्षेत्र में जातिगत समीकरण भी निर्णायक भूमिका में है. अजा-अजजा वर्ग का मतदाता सबसे ज्यादा है. चूंकि शाजापुर-देवास संसदीय क्षेत्र सुरक्षित सीट है और जातिगत समीकरण में भाजपा का पलड़ा हर लोकसभा चुनाव में भारी रहा है. देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र में मालवीय समाज निर्णायक भूमिका में है. मालवीय समाज का झुकाव हर लोकसभा चुनाव में जिस दल के पक्ष में रहा है, उसको फायदा हुआ है. वहीं अल्पसंख्यक समाज भी महत्वपूर्ण भूमिका में हर चुनाव में नजर आता है. अल्पसंख्यक समाज यूं तो कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है. अब देखना है कि इस बार लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक समाज के वोट बैंक में भाजपा सेंध लगा पाती है या कांग्रेस बाजी मार जाती है.
भाजपा ने लगाई पूरी ताकत…
भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान सांसद महेंद्र सोलंकी का जनसंपर्क सतत जारी है. जहां शाजापुर विधानसभा में अरुण भीमावद, तो शुजालपुर में इंदरसिंह परमार, कालापीपल में घनश्याम चंद्रवंशी, तो आगर में मधु गेहलोत और संगठन चुनावी समर में लगा हुआ है. गांव-गांव भाजपा का जनसंपर्क शुरू हो गया है. लेकिन कांग्रेस में अभी भी दो बैठकों के बाद जिले में कांग्रेस का जनसंपर्क शुरू नहीं हुआ है. कांग्रेस की दो बैठकें आयोजित हुई हैं, उसके बाद से कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मालवीय जनता के बीच में उतनी सक्रियता से नजर नहीं आ रहे हैं, जितनी सक्रियता से भाजपा प्रत्याशी महेंद्र सोलंकी नजर आ रहे हैं.