भोपाल, 05 मार्च (वार्ता) मध्यप्रदेश के आदिवासी समुदाय के बीच उल्लास के तौर पर मनने वाला एक बड़ा उत्सव भगोरिया अब राज्य में राजकीय स्तर के उत्सव के तौर पर मनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कल इस संबंध में घोषणा की। उन्होंने कहा कि उल्लास का पर्व भगोरिया फागुन के रंगों से सराबोर प्रकृति की खुशबू में कुछ पल थम जाने और इसी में रम जाने का पर्व है। राज्य सरकार भगोरिया का उल्लास बरकरार रखेते हुए अब इसे राजकीय स्तर पर उत्सव के रूप में मनाएगी।
डॉ यादव ने कल यहां मुख्यमंत्री निवास में हुए जनजातीय देवलोक महोत्सव में यह महत्वपूर्ण सौगातें दीं। उन्होंने कहा कि यह इसी वर्ष से शुरू किया जाएगा। वे स्वयं भी भगोरिया उत्सव में शामिल होंगे। सरकार छोटे-छोटे स्थान पर जनजातीय देवी-देवताओं के पूजा स्थलों को विकसित करने के लिए सहायता देगी। कोरकू उत्सव भी मनाएंगे। इसके अलावा जनजातीय समाज के जितने भी त्यौहार आने वाले हैं, सरकार उन्हें राजकीय स्तर पर मनाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय समाज हमारा गौरव है। जनजातीय नायकों ने स्वाधीनता संग्राम में अपना बलिदान दिया। वे किसी के भी सामने झुके नहीं। जनजातियों की देशज पुरा संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए सरकार उनका सहयोग करेगी। जनजातियों की विशेष पूजा पद्धति, रीति-रिवाज संस्कृति, संस्कार यह सब हमारी धरोहर हैं। सरकार इन्हें संजोकर रखने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगी।
आरंभ में मुख्यमंत्री ने सभी अतिथियों के साथ जनजातीय परम्परा एवं पूजा पद्धति से बड़ा देव पूजन एवं दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने सभी जनजातीय बंधुओं से जय बड़ा देव और जय जोहार का उद्घोष कराया। समारोह स्थल पर आगमन के दौरान जनजातीय समुदाय के कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य एवं वाद्य यंत्रों, मांदल की थाप से अपनी मनमोहक नृत्य प्रस्तुतियों के साथ महोत्सव में डॉ यादव का आत्मीय स्वागत किया।
डॉ यादव ने कहा कि आज का महोत्सव जनजातीय समाज के धार्मिक मुखियाओं का सम्मान है। जनजातीय संस्कृति को संरक्षित रखने वाले ओझा, पटेल, पुजारा, तड़वी, भगत, भुमका, पंडा एवं अन्य धर्म मुखिया सरकार के लिए सदैव सम्मानित रहेंगे। उन्होंने कहा कि जनजातियों की संस्कृति में आत्मीयता है, इनकी बोली में प्रेम प्रतिबिंबित होता है। जनजातियों की पूजा पद्धति प्रकृति के प्रति आस्था को व्यक्त करती है। जनजातियों के सभी देवी देवताओं और इनकी प्रकृति के प्रति आभार पूजा पद्धतियों को भी नमन है।
उन्होंने कहा कि प्रकृति पूजक जनजातीय संस्कृति हम सबको जीना सिखाती है, जीवन का आनंद लेना सिखाती है। जल, जंगल, जमीन और जमीर बचाने में जनजातीय महानायकों ने अपने प्राणोत्सर्ग कर दिए। जनजाति समाज भारत का गौरव है। टंट्या मामा, रानी दुर्गावती, अमर शहीद रघुनाथ शाह और कुंवर शंकर शाह इसकी पहचान हैं। जनजातीय समाज ने सदियों से भारतीय संस्कृति को और अधिक पल्लवित किया है। जनजातीय समाज के वाद्य यंत्र और उनकी बोली मानवीय भावों का उदात्त प्रकटीकरण है।
मुख्यमंत्री ने जनजातीय बंधुओं से अपील की है कि इस समृद्ध संस्कृति को हमेशा बनाए रखें। सरकार इसमें मदद करेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनजातीय समाज के लिए बड़े काम किए हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने वहां के जनजातियों के उत्थान के लिए अनुकरणीय कार्य किए। केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री जन-मन योजना, धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान और पेसा एक्ट के जरिए राज्य सरकार ने जनजातीय बंधुओं को सशक्त बनाने की दिशा में प्रभावी प्रयास किए हैं।
डॉ यादव ने जनजातीय संस्कृति के पैरोकार नर्तक दल और वाद्य यंत्र कलाकारों के समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि जनजातीय देवलोक महोत्सव में आए सभी जनजातीय नर्तकों एवं वाद्य कलाकारों को प्रोत्साहन स्वरूप पांच-पांच हजार रूपए की धनराशि दी जाएगी। इसके जनजातियों देवस्थानों एवं इनके देवी देवताओं के प्रतीकों, पूजा स्थलों एवं पूजा पद्धतियों के संरक्षण के लिए प्रदेश की सभी पेसा ग्राम पंचायतों को तीन-तीन हजार रूपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने मंच से जनजातीय नर्तकों एवं वाद्य कलाकारों को पांच-पांच हजार रूपए एवं पेसा ग्राम पंचायतों को तीन-तीन हजार रुपये की वित्तीय सहायता राशि के चेक भी वितरित किए।
उन्होंने कहा कि दुर्गम जनजातीय क्षेत्रों में आवागमन की समस्या के निदान के लिए सरकार फिर से शासकीय बसें चलाएगी। इससे आवागमन की समस्या हमेशा के लिए दूर हो जाएगी।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने जनजातीय समाज के भील, भिलाला, पटेलिया, पनिका, गोंड, कोरकू, मवासी, परधान, कोल, उरांव, बैगा, भारिया एवं सहरिया प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उन्हें देवलोक महोत्सव एवं होली की शुभकामनाएं दी।