नयी दिल्ली, 04 मार्च (वार्ता) भारत और नेपाल ने अयोध्या से जनकपुर के बीच सीधी यात्री ट्रेन चलाने और रक्सौल से काठमांडू तक रेल लाइन बिछाने की कार्य योजना तैयार कर ली है।
गत सप्ताह 27-28 फरवरी को यहां भारत और नेपाल ने नौं वीं परियोजना संचालन समिति (पीएससी) और सातवीं संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) की बैठकें आयोजित कीं और सीमा पार रेलवे लिंक की परियोजनाओं के कार्यान्वयन की तैयारी और रेलवे क्षेत्र में समग्र द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की।
विदेश मंत्रालय ने आज यहां बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (डीपीए-3) रोहित रतीश और रेल मंत्रालय के कार्यकारी निदेशक (यातायात परिवहन-फ्रेट) प्रदीप ओझा ने किया। नेपाली पक्ष का नेतृत्व दोनों बैठकों के लिए भौतिक बुनियादी ढांचा और परिवहन मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुशील बाबू ढकाल ने किया।
दोनों पक्षों ने भारत सरकार की अनुदान सहायता से विकसित की जा रही जयनगर-बिजलपुरा-बार्डीबास और जोगबनी-बिराटनगर ब्रॉड गेज रेलवे लाइनों के निर्माण के चल रहे कार्यों पर चर्चा की। दोनों रेलवे लाइनों के शेष खंडों यानी बिजलपुरा से बार्दीबास तक जयनगर-बिजलपुरा-बार्दीबास और नेपाल कस्टम यार्ड से बिराटनगर तक जोगबनी-बिराटनगर पर काम शुरू करने की तैयारियों की भी समीक्षा की गई। नेपाली पक्ष ने आश्वासन दिया कि रेलवे लाइनों के शेष खंडों पर काम शुरू करने और पूरा करने के लिए आवश्यक सुविधा प्रदान की जाएगी।
बैठकों में जनकपुर-अयोध्या खंड पर यात्री ट्रेन सेवाओं के शुरू होने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) रक्सौल-काठमांडू ब्रॉड गेज रेलवे लिंक के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण (एफएलएस) रिपोर्ट और अतिरिक्त रेलवे लिंक पर भी चर्चा की गई। दोनों पक्ष नेपाली रेलवे कर्मियों के क्षमता निर्माण, रसद सहायता और प्रशिक्षण के क्षेत्रों सहित रेलवे क्षेत्र में तकनीकी सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
जेडब्ल्यूजी और पीएससी की बैठकों के दौरान, नेपाली प्रतिनिधिमंडल ने नेपाल के रेलवे कर्मियों और अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए उपलब्ध सुविधाओं को देखने और समझने के लिए भारतीय रेलवे परिवहन प्रबंधन संस्थान (आईआरआईटीएम), लखनऊ और अयोध्या का भी दौरा किया।