० भाजपा के गढ़ रहे सिंगरौली जिले की तीन विधानसभा में भाजपा को मिली थी ऐतिहासिक जीत, लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत घटने से जीत के अंतर को लेकर लग रहे कई तरह के कयास
सीधी 25 अप्रैल। सिंगरौली जिले की तीन विधानसभा से जीत का अंतर जीत लोकसभा का परिणाम तय करेगा। भाजपा के गढ़ रही सिंगरौली जिले की तीनों विधानसभा में भाजपा को विधानसभा चुनाव के दौरान ऐतिहासिक जीत मिली थी। यह दीगर बात है कि लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत घटने से जीत के अंतर को लेकर कई तरह के कयास लग रहे हैं।
बताते चलें कि लोकसभा चुनाव के दौरान सिंगरौली जिले की देवसर विधानसभा में 61.99 प्रतिशत, सिंगरौली विधानसभा 59.54 प्रतिशत एवं चितरंगी विधानसभा में 56.59 प्रतिशत मतदान हुआ है। करीब 6 माह पूर्व विधानसभा चुनाव के दौरान तीनों विधानसभा क्षेत्रों में बम्पर वोटिंग हुई थी। विधानसभा चुनाव के दौरान हुये मतदान पर निगाहबानी की जाए तो देवसर विधानसभा में 79.29 प्रतिशत, सिंगरौली विधानसभा में 73.03 प्रतिशत एवं चितरंगी विधानसभा में 71.78 प्रतिशत मतदान हुआ था। विधानसभा चुनाव के दौरान सिंगरौली जिले की तीनों विधानसभा क्षेत्रों में बम्पर वोटिंग होने से भाजपा को फतह मिली थी। इस बार सिंगरौली जिले की तीनों विधानसभा क्षेत्रों में कम वोटिंग होने से लोकसभा चुनाव में जीत के अंतर को लेकर को लेकर कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि सीधी संसदीय क्षेत्र में सिंगरौली जिले की तीन विधानसभा क्षेत्रों से ही जीत का अंतर तय होना है। दरअसल सीधी संसदीय क्षेत्र में कुल 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। जिसमें सिंगरौली जिले की तीन विधानसभा क्षेत्रों के साथ ही सीधी जिले की चार विधानसभा क्षेत्र चुरहट, सीधी, सिहावल एवं आदिवासी बाहुल्य धौंहनी विधानसभा क्षेत्र और शहडोल जिले की ब्यौहारी विधानसभा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। सीधी जिले एवं शहडोल जिले के ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र के लोकसभा चुनाव का समीकरण कुछ अलग ही माना जा रहा है। हालांकि हाल ही सम्पन्न विधानसभा चुनाव के दौरान सीधी संसदीय क्षेत्र में शामिल चुरहट विधानसभा क्षेत्र को छोडक़र सभी में भाजपा ने जीत का परचम फहराया था। जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के बाद हो रहे सीधी लोकसभा चुनाव में राजनैतिक समीकरण इस बार कई तरह से बदल चुके हैं। इस वजह से यह माना जा रहा है कि सिंगरौली जिले की तीनों विधानसभा क्षेत्रों से ही मतगणना के बाद जीत का अंतर तय होगा। यह दीगर बात है कि विधानसभा चुनाव के अपेक्षा लोकसभा चुनाव में सिंगरौली जिले की तीनों विधानसभा क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत घटा है। मतदान प्रतिशत घटने के बाद से इसके कारणों को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। कोई इसे भाजपा के विपक्ष में बता रहा है तो कुछ लोगों का मानना है कि वैवाहिक कार्यक्रमों की भरमार एवं भीषण गर्मी के चलते मतदान का प्रतिशत गिरा है। बहरहाल वास्तविक जानकारी तो 4 जून 2024 को मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी।
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भाजपा को मिली थी एक लाख 20 हजार की बढ़त
सिंगरौली जिले की तीनों विधानसभा क्षेत्रों में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को मिले बढ़त को जोड़ दिया जाए तो एक लाख 20 हजार था। सिंगरौली विधानसभा में भाजपा की बढ़त 37977, चितरंगी विधानसभा में बढ़त 59879 एवं देवसर विधानसभा में बढ़त 22869 थी। इसी को आधार मानकर अब राजनैतिक विश्लेषक भाजपा को मिलने वाले मतों पर विचार मंथन करने में जुटे हुये हैं। भाजपा को मिलने वाले मतों का आंकलन करके ही कांगे्रस के मतों का भी आंकलन किया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में कुछ पोलिंग बूथों में टक्कर काफी ज्यादा बताई जा रही है। हालांकि जीत-हार को लेकर भाजपा-कांग्रेस में समान रूप से दावेदार की जा रही है। जानकार सिंगरौली जिले की तीनों विधानसभा क्षेत्रों में हुये मतदान पर आंकलन करने में जुटे हुये हैं।
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साइलेंट वोटरों के हांथ में जीत की चाबी
लोकसभा चुनाव के दौरान साइलेंट वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है। साइलेंट वोटर ही चुनाव में जीत एवं हार का फैसला करते हैं। साइलेंट वोटर कर खासियत यह होती है कि वह सुनतो तो सबकी है लेकिन अपने पत्ते नहीं खोलता। इस वजह से उसके संबंध में लोगों का आंकलन भी सही तरीके से नहीं हो पाता। सीधी संसदीय क्षेत्र में साइलेंट वोटरों की संख्या सर्वाधिक है। सिंगरौली जिले की जिन तीन विधानसभा क्षेत्रों के संबंध में जो जीत के अंतर में अहम भूमिका होने के कयास लगाये जा रहे हैं उसमें साइलेंट वोटर काफी खास हैं। साइलेंट वोटरों का रूझान किस प्रत्याशी की ओर रहा है इसको लेकर अभी केवल आंकलन ही किये जा रहे हैं। फिर भी यही माना जा रहा है कि साइलेंट वोटर लोकसभा चुनाव सीधी में सबसे प्रमुख भूमिका निभायेंगे।
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