एक समय था जब सूचना, संचार और गीतों के लिए अहम भूमिका निभाता था रेडियो विश्व रेडियो दिवस पर विशेष

उज्जैन: 13 फरवरी को हर साल विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है। एक समय था जब रेडियो हमारे जीवन का काफी अहम हिस्सा हुआ करता था। सूचना, संचार और गीतों के माध्यम से मनोरंजन के अहम माध्यम के तौर पर रेडियो का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन टेलीविजन और मोबाइल जैसी चीजें आने के बाद रेडियो का पहले जैसा इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
अब कानों में रेडियो पर बजने वाले गानों की स्वर लहरिया अतीत हो गई। रही सही कसर मोबाइल क्रांति ने पूरी कर दी। एक जमाना था जब सरहद पर फुर्सत के क्षणों में जवान अपनों को याद करने व अपना संदेश सुनाने रेडियो पर अपनी बारी का इंतजार करते थे।

उन्हें बड़ा सुकून मिलता था, जब आकाशवाणी में भेजा उनका संदेश अपनों को मिलता था। आज टीवी व मोबाइल की चकाचौंध के बीच इंटरनेट युग में आमजन का साथी वह रेडियो गुम हो गया है। वे नजारे अब बस बुजुर्गों की यादों में शेष बचे हैं, जब साइकिल सवार भी अपनी यात्रा रेडियो के संगीत सुनते हुए पूरी करते थे। बदलते समय में सिर्फ बस रेडियों की यादे बची है।एक जमाने में खास था रेडियो सीमा पर चौकसी करते सैनिकों के लिए जहां रेडियों अपनों तक संदेश पहुंचाने का जरिया हुआ करता था। वहीं आम लोगों के लिए इससे बड़ा मनोरंजन का कोई साधन नहीं था। लोगों को रेडियों पर आने वाले कार्यक्रमों का इंतजार रहता था। जिसमें वह अपनी फरमाइश के गीत सुनकर भाव विभोर होते थे। समयबद्ध तरीके से प्रसारित होने वाले रेडियों के कार्यक्रमों को लेकर लोगों में खासा उत्साह रहता था।

मिलती थी सारी जानकारी
टीवी व मोबाइल के पहले रेडियो लोगों को देश विदेश में होने वाले घटनाक्रम व अन्य जानकारियां हासिल करने का अहम जरिया था। इसके साथ ही रेडियों पर मनोरंजन के साथ ही ज्ञान एवं कृषि से सम्बंधित कार्यक्रम आते थे, जिन्हें किसान बड़े चाव से सुनते थे। रेडियो पर नंदा जी भैरा जी कार्यक्रम किसानों का पहला पसंदीदा कार्यक्रम था। कभी कभार सरकार किसी योजना में इन रेडियो का उपयोग कर लोगों के जेहन में इनकी यादों को ताजा कर देती है। राजकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों की पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए सरकार ने रेडियों का उपयोग कर विद्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रम शुरू किया। जिसमे विद्यार्थी अपने पाठ को सुनकर समझ सके। वहीं प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम के जी रेडियो संदेश से लोगों तक अपने की बात पहुंचाई।

इनका कहना है
एक जमाना था, जब रेडियो बिना मनोरंजन की कल्पना नहीं की जा सकती थी। रेडियो आम जनजीवन का अहम हिस्सा था। आज टीवी एवं मोबाइल क्रांति ने सबकुछ बदल दिया है। घर में रेडियो हुआ करते थे, आज दिखे से रेडियो नजर नहीं आते।
-अरुण शर्मा रेडियो मैकेनिक
रेडियो का जितना केज रहा है, उसका मुकाबला आज के टीवी एवं मोबाइल मुकाबला नहीं करते। लोगों की सुबह की शुरुआत भी रेडियो के संगीत से होती थी। हां यह जरूर है कि टीवी व मोबाइल ने इसके अस्तित्व पर संकट खड़ा कर दिया।
-श्याम सुंदर माहेश्वरी

Next Post

बिजली कंपनियों व नियामक आयोग से जवाब तलब

Thu Feb 13 , 2025
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email दो प्रक्रियाओं से वसूली का मामला जबलपुर: मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने बिजली खरीदी व आपूर्ति पर दो प्रक्रियाओं से वसूली पर आपत्ति के प्रकरण में मप्र पूर्व क्षेत्र […]

You May Like

मनोरंजन