महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान आज, 3 फरवरी को त्रिवेणी घाट पर किया जा रहा है। इस अवसर पर नागा साधु पहले स्नान करेंगे, उसके बाद अन्य श्रद्धालु भी इस पवित्र स्नान में भाग लेंगे। इस दिन को विशेष माना जा रहा है, क्योंकि यह बसंत पंचमी के साथ मेल खाता है और इसका एक शुभ योग बनता है। करने नहीं जा पाए, वे घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं और फिर मंदिर में पूजा-पाठ कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं।
दान और तर्पण का महत्व
महाकुंभ के इस विशेष दिन पर दान करने का बड़ा महत्व है। स्नान के बाद अन्न, वस्त्र, या धन का दान करने से न सिर्फ आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि देवी-देवताओं और पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त, पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों की आत्माएं शांत होती हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
पितृ पक्ष के समान पुण्य
धार्मिक मान्यता के अनुसार, महाकुंभ के इस अमृत स्नान के दौरान किए गए श्राद्ध कार्य पितृ पक्ष के दौरान किए गए श्राद्ध जितने ही पुण्यदायी माने जाते हैं। इस दिन पितरों के मंत्रों का जप करने और तर्पण करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।