नीति आयोग और एवीए ने गांवों को ‘बाल विवाह मुक्त’ घोषित करने के लिए मिलाया हाथ

नयी दिल्ली 18 जनवरी (वार्ता) नीति आयोग और एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन (एवीए) ने देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा और सशक्तिकरण और अगले एक वर्ष में 15 हजार गांवों को बाल विवाह मुक्त घोषित करने के लिए हाथ मिलाया है।

इस आशय के मंतव्य पत्र (एसओआई) पर यहां शुक्रवार देर शाम हस्ताक्षर किए गये। इसके अंतर्गत अगले दो वर्ष में 73 जिलों के आकांक्षी प्रखंडों के गांवों के आर्थिक रूप से बेहद कमजोर परिवारों के बच्चों के लिए शोषण, उत्पीड़न, बाल मजदूरी या बाल विवाह दृष्टि से सुरक्षित बाल ग्राम के रूप में एक सुरक्षा घेरा विकसित किया जाएगा।

दो-वर्षीय एसओआई के अंतर्गत देश के सबसे अविकसित और संवेदनशील इलाकों में बच्चियों के सशक्तीकरण और शिक्षा के परिवेश को मजबूत करने के लिए एक समग्र और व्यापक रणनीति पर अमल किया जाएगा। बाल विवाह और बच्चों की तस्करी की निगरानी और रोकथाम के लिए सभी लक्षित गांवों में पंचायत स्तर पर लोगों की आवाजाही और विवाहों के ब्योरे दर्ज करने के लिए रजिस्टर रखे जाएंगे। स्कूल नहीं जा पाने वाले बच्चों को शिक्षा और कौशल विकास के अवसरों से जोड़ा जाएगा, जबकि हाशिये के व्यक्तियों और परिवारों को सरकारी जनकल्याण योजनाओं से जोड़ा जाएगा।

इस अवसर पर एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन के कार्यकारी निदेशक धनंजय टिंगल ने कहा कि साझा प्रयासों से हमारा लक्ष्य वर्ष 2025 के अंत तक इन प्रखंडों को बाल विवाह मुक्त बनाना है।

नीति आयोग जिला, ब्लॉक और गांव स्तर पर राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों और अन्य प्रमुख पक्षों के साथ सहयोग करेगा।

 

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