भोपाल, 04 जून (वार्ता) उत्तरप्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार काफी नुकसान झेलने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मध्यप्रदेश में सभी 29 सीटों पर ऐतिहासिक विजय दर्ज कराते हुए कांग्रेस को करारी शिकस्त दी है। कांग्रेस इस बार अपने अभेद किला माने जाने वाले छिंदवाड़ा को भी नहीं बचा पायी और उसके प्रत्याशी नकुलनाथ को एक लाख से अधिक मतों से पराजय का सामना करना पड़ा।
लोकसभा चुनाव की मतगणना में कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को राजगढ़ में भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर के हाथों एक लाख 46 हजार से अधिक मतों से शिकस्त झेलना पड़ी। वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा से आठ लाख से अधिक मतों और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा खजुराहो से पांच लाख से अधिक मतों से विजयी होने में सफल रहे। भाजपा ने अपनी शानदान विजय का जश्न यहां देर शाम प्रदेश कार्यालय में मनाया, जहां पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, श्री शर्मा और श्री चौहान समेत अनेक नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे।
डॉ यादव ने इस अवसर पर कहा कि भाजपा के वोट प्रतिशत में इस बार 11 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है और यह 50 से बढ़कर 61 प्रतिशत तक पहुंच गया है। कुल 29 में से 25 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी एक लाख से अधिक मतों से जीते हैं। इंदौर में भाजपा प्रत्याशी शंकर ललवानी 11 लाख 75 हजार से अधिक मतों से विजयी रहे, हालाकि यहां कांग्रेस प्रत्याशी के मैदान में नहीं होने से “नोटा” के विकल्प पर भी दो लाख से अधिक लोगों ने वोट किया।
राज्य के इन नतीजों की जहां भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी केंद्रीय मुख्यालय दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में जिक्र किया, तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने राज्य के जनादेश को स्वीकार करते हुए कहा कि वे इसकी जिम्मेदारी लेते हैं। इसके साथ ही उन्होंने आत्ममंथन करने और सकारात्मक बदलाव लाने के संकेत भी दिए।
कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा में भाजपा प्रत्याशी बंटी विवेक साहू ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के नकुलनाथ को एक लाख 13 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। श्री साहू ने अपनी विजय के साथ ही कांग्रेस से यह सीट छीन ली है। निवर्तमान सांसद नकुलनाथ वरिष्ठ नेता कमलनाथ के पुत्र हैं और पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस राज्य में मात्र यही सीट जीतने में कामयाब रही थी। इस क्षेत्र में वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ और उनके परिवार को चार दशकों से कब्जा था। नब्बे के दशक में सिर्फ एक बार उपचुनाव में यहां पर श्री कमलनाथ को भाजपा के वरिष्ठ नेता सुंदरलाल पटवा के हाथों शिकस्त खाना पड़ी थी।
रतलाम संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के आदिवासी नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को भी भाजपा की श्रीमती अनीता चौहान के हाथों पराजित होना पड़ा। हालाकि भाजपा उन लगभग आधा दर्जन सीटों पर भी विजय हासिल करने में भी सफल रही, जहां पर प्रत्याशियों के चयन के चलते ये सीट सत्तारूढ़ दल भाजपा के लिए “टफ” मानी जा रही थीं।
भाजपा का प्रदेश नेतृत्व इस अभूतपूर्व सफलता से बेहद गदगद नजर आ रहा है, क्योंकि इस तरह की सफलता मध्यप्रदेश के संसदीय इतिहास में भाजपा ने पहली बार हासिल की है। मुख्यमंत्री डॉ यादव और प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने यह सफलता विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व को समर्पित की है, वहीं राज्य के पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के प्रति आभार व्यक्त किया है।