यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से रासायनिक कचड़ा पीथमपुर के लिए रवाना

भोपाल, (वार्ता) भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में स्थित कई टन रासायनिक अपशिष्ट (कचड़ा) को आज रात कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच यहां से विशेष कंटेनरों में भरकर इंदौर के समीप पीथमपुर के लिए रवाना किया गया।

राज्य सरकार के गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग ने अदालत के आदेश के परिपालन में फैक्ट्री परिसर में लगभग चार दशकों से पड़े बड़ी मात्रा में रासायनिक कचड़े को इंदौर के समीप पीथमपुर में वैज्ञानिक विधि से नष्ट करने के निर्णय पर अमल शुरू कर दिया है। भोपाल से पीथमपुर तक कचड़ा ले जाने के लिए अनेक कंटेनरों में भरा गया है और इन सब कंटेनरों को “ग्रीन कॉरिडोर” बनाकर भोपाल से पीथमपुर देर रात रवाना किया गया। ग्रीन कॉरिडोर लगभग ढाई सौ किलोमीटर का बनाया गया है।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से कहा कि सभी लगभग एक दर्जन कंटेनर बुधवार और गुरुवार की दरम्यानी देर रात्रि में पीथमपुर में निर्धारित स्थान पर पहुंच जाएगा। इसके लिए अदालत और प्रशासनिक आदेश के अनुरूप सभी मापदंडों का पालन किया गया है।

इस बीच आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि केन्द्र सरकार के निर्देशों के अनुरूप यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री परिसर में शेष बचे 337 मीट्रिक टन रासायनिक अपशिष्ट (कचड़े) को नष्ट करने की कार्रवाई प्रारंभ की गयी है। अपशिष्ट की पैकिंग, लोडिंग और परिवहन निर्धारित मापदंडों के अनुरूप और सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों के साथ विशेष 12 कंटेनरों से किया जा रहा है। कंटेनर्स के साथ पुलिस सुरक्षा बल, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड तथा क्विक रिस्पाँस टीम भी मौजूद है।

सूत्रों ने कहा कि यह कंटेनर “लीक प्रूफ एवं फायर रेजिस्टेंट” हैं। प्रति कंटेनर दो प्रशिक्षित ड्राइवर नियुक्त किये गये हैं। इन कंटेनरों का मूवमेंट जीपीएस द्वारा मॉनिटर किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले रासायनिक तथा अन्य अपशिष्ट के निष्पादन के लिये धार जिले के पीथमपुर में एकमात्र प्लांट है, जहां पर भस्मीकरण से अपशिष्ट पदार्थों का विनष्टीकरण किया जाता है। यह प्लांट प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित उद्योगों द्वारा जनित खतरनाक एवं रासायनिक अपशिष्ट के सुरक्षित निष्पादन के लिये स्थापित किया गया है। यह प्लांट सेन्ट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के दिशा-निर्देशानुसार संचालित है।

सीपीसीबी की मॉनिटरिंग में सभी निर्धारित पैरामीटर अनुसार सुरक्षा मानकों का ध्यान रखते हुए 10 मीट्रिक टन अपशिष्ट विनिष्टिकरण का “ट्रॉयल रन-2015” में किया गया। शेष बचे 337 मीट्रिक टन रासायनिक अपशिष्ट पदार्थों का निष्पादन सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर पारित आदेशों के अनुक्रम में तथा उच्च न्यायालय द्वारा गठित ओवर साइट कमेटी/टास्क फोर्स कमेटी के निर्णय 19 जून 2023 के अनुक्रम में किया जा रहा है।पीथमपुर में अत्याधुनिक बुनियादी ट्रीटमेंट, स्टोरेज एवं डिस्पोजल फेसिलिटी (टीएसडीएफ) अनुसार वर्ष-2006 से अन्य संस्थाओं के अपशिष्ट का भस्मीकरण ठीक उसी प्रकार से किया जा रहा है, जैसे लगातार क्रियाशील यूसीआईएल में अपशिष्ट संग्रहित हैं।

देश में पीथमपुर जैसे 42 संयंत्र क्रियाशील हैं, जिसमें ऐसे रासायनिक अपशिष्ट पदार्थों का उपचार उपरांत निपटान किया जाता है। पीथमपुर में स्थापित यह कॉमन हैज़र्डस वेस्ट ट्रीटमेंट, स्टोरेज और डिस्पोज़ल फैसिलिटी एक अत्याधुनिक सुविधा है, जिसमें ख़तरनाक कचरे को सटीकता और सुरक्षा के साथ निष्पादन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। सूत्रों ने कहा कि ‘री-सस्टेनेबिलिटी लिमिटेड’ की सहायक कंपनी पीआईडब्लुएमपीएल (पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मेनेजमेंट प्रा.लि.) द्वारा संचालित, यह सुविधा भस्मीकरण, लैंडफ़िल प्रबंधन और उत्सर्जन नियंत्रण के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग कर अपशिष्टों का निष्पादन करती है।

अपशिष्टों के निष्पादन के दौरान इस सुविधा द्वारा लगातार जल एवं वायु मापन कार्य किया जाता है। इस प्रकार यह सुविधा खतरनाक कचरे को पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित रूप से निपटाने और प्राकृतिक संसाधनों को दूषित करने के जोखिम को कम करने के लिये विशिष्ट समाधान प्रदान करती है।सीपीसीबी द्वारा 2015 में किये गये यूसीआईएल अपशिष्ट विनिष्टिकरण के ट्रायल रन के दौरान तथा बाद में उत्सर्जन मानक, निर्धारित राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पाये गये। परिणामों के आधार पर वर्णित किया गया है कि यूसीआईएल. कचरे के निष्पादन पश्चात किसी तरह के हानिकारक तत्व पानी अथवा वायु में नहीं पाये गये तथा इनसीनेरेशन (भस्मीकरण) के पश्चात शेष बचे रेसीड्यूज़ का निष्पादन टीएसडीएफ (ट्रीटमेंट स्टोरेज एंड डिस्पोजल फेसेलिटी) में लैण्ड फिल के माध्यम से डबल कम्पोजिट लाइनर सिस्टम से किया गया। इसका किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव पर्यावरण एवं स्वास्थ्य पर नहीं पाया गया।

भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री परिसर में कीटनाशक तैयार किए जाते थे। इसी फैक्ट्री परिसर से दो और तीन दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात्रि में जहरीली गैस मिथाइल आइसो सायनेट (मिक) के व्यापक मात्रा में रिसाव के कारण हजारों लोगों की मौत हो गयी थी और लाखों लोग प्रभावित हुए थे। इसे विश्व की भीषणतम औद्योगिक दुर्घटना माना जाता है। इस हादसे के शिकार हजारों लोग आज भी इसके दुष्परिणाम झेल रहे हैं। कई एकड़ क्षेत्र में फैली यह फैक्ट्री इस हादसे के बाद बंद पड़ी है, लेकिन परिसर में कई टन रासायनिक कचड़ा चार दशक तक पड़ा रहा। इसे नष्ट करने के लिए कई वर्षों तक बहस चली और अब आखिरकार इसे पीथमपुर में नष्ट करने की कार्रवाई की जा रही है। हालाकि पीथमपुर क्षेत्र से भी इस कार्रवाई के विरोध के स्वर उठे हैं।

 

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