नयी दिल्ली (वार्ता) ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में वर्ष 2023-24 में औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) क्रमशः 4,122 रुपये और 6,996 रुपये रहने का अनुमान है, जिसमें विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से परिवारों को प्राप्त हुई नि:शुल्क वस्तुओं के मूल्यों को शामिल नहीं किया गया है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के बाद स्थिति सामान्य होने पर वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान घरेलू उपभोग व्यय पर दो सर्वेक्षण किए है। पहला सर्वेक्षण अगस्त 2022 से जुलाई 2023 की अवधि के दौरान किया गया था और दूसरे सर्वेक्षण पूरे देश में अगस्त 2023 से जुलाई 2024 के दौरान किया गया था। घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण: 2023-24 (एचसीईएस:2023-24) के परिणाम राज्य और व्यापक मद समूह स्तर पर तैयार किए गए हैं और उन्हें आज जारी किया गया।
इसमें कहा गया है कि विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से निःशुल्क प्राप्त वस्तुओं के अनुमानित मूल्य पर विचार करते हुए, ये अनुमान ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए 4,247 रुपये और 7,078 रुपये हैं।
एमपीसीई के अनुसार भारत की ग्रामीण आबादी के सबसे निचले 5 प्रतिशत वर्ग का औसत एमपीसीई 1,677 रुपये है, जबकि शहरी क्षेत्रों में इसी वर्ग की आबादी के लिए यह 2,376 रुपये है। एमपीसीई द्वारा क्रमबद्ध भारत की ग्रामीण और शहरी आबादी के शीर्ष 5 प्रतिशत का औसत एमपीसीई 10,137 रुपये और 20,310 रुपये है।
नॉमिनल कीमतों में, वर्ष 2023-24 में औसत एमपीसीई (बिना निर्धारण के) 2022-23 के स्तर से ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 9 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 8 प्रतिशत अधिक है।शहरी-ग्रामीण एमपीसीई में अंतर 2011-12 में 84 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 71 प्रतिशत रह गया है। यह 2023-24 में और घटकर 70 प्रतिशत रह गया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग की गति की पुष्टि करता है।
इसमें कहा गया है कि एमपीसीई के आधार पर रैंकिंग करने पर, 2022-23 के स्तर से 2023-24 में औसत एमपीसीई में वृद्धि भारत की ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की निचली 5 से 10 प्रतिशत आबादी के लिए अधिकतम रही है। गैर-खाद्य वस्तुएं 2023-24 में घरेलू औसत मासिक व्यय में प्रमुख बनी रहेंगी, जिनकी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एमपीसीई में लगभग 53 प्रतिशत और 60 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण और शहरी परिवारों की खाद्य वस्तुओं में पेय पदार्थ, जलपान और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का 2023-24 में भी प्रमुख व्यय हिस्सा बना रहेगा।परिवहन , कपड़े, बिस्तर और जूते, विभिन्न प्रकार के सामान और मनोरंजन तथा टिकाऊ वस्तुओं पर ग्रामीण और शहरी परिवारों के गैर-खाद्य व्यय का बड़ा हिस्सा खर्च होता है।मकान किराया, गैराज किराया और होटल आवास शुल्क सहित किराया, जिसकी हिस्सेदारी लगभग 7 प्रतिशत है, शहरी परिवारों के गैर-खाद्य व्यय का एक अन्य प्रमुख घटक है।ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में उपभोग असमानता 2022-23 के स्तर से कम हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए गिनी गुणांक 2022-23 में 0.266 से घटकर 2023-24 में 0.237 हो गया है और शहरी क्षेत्रों के लिए 2022-23 में 0.314 से घटकर 2023-24 में 0.284 हो गया है।
वर्ष 2023-24 के एमपीसीई के अनुमान देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 2,61,953 परिवारों (ग्रामीण क्षेत्रों में 1,54,357 और शहरी क्षेत्रों में 1,07,596) से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित हैं।