नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (वार्ता) मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहीम ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है और ‘मेरे मित्र!, मेरे भाई! ’ जैसे संबोधन के साथ उनके साथ अपने आत्मीय संबंधों को याद किया है।
प्रधानमंत्री इब्राहिम ने डॉ. सिंह के निधन पर सोशल मीडिया मंच एक्स के माध्यम से अपने मन के उद्गार व्यक्त करते हुए याद किया है कि किस तरह वे दोनों अपने-अपने देश के वित्त मंत्री के रूप में काम करते हुए एक दूसरे के प्रति सहयोग और सम्मान का रिश्ता रखते थे और भ्रष्टाचार से लड़ने में आपस में मदद करते थे और किस तरह उनको मलेशिया में कारागार में डाले जाने के समय डॉ. सिंह ने कूटनीतिक हानि-लाभ की चिंता किए बिना उनके बेटे को वजीफा देने की पेशकश की थी।
श्री इब्राहिम ने पोस्ट में लिखा, “मेरे सम्मानित और प्रिय मित्र डॉ. मनमोहन सिंह के निधन की खबर सुनकर मुझ पर दुख का बोझ बढ़ गया है।”
उन्होंने कहा है कि डॉ. सिंह का व्यक्तित्व महान था उनके बारे में निश्चित रूप से बहुत सारी श्रद्धांजलि, निबंध और किताबें लिखी जाएंगी, जो उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों के निर्माता के रूप में याद करेंगी। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री के रूप में, डॉ. सिंह भारत के विश्व के आर्थिक दिग्गजों में से एक के रूप में उभरने के सूत्रधार थे।
श्री इब्राहिम ने लिखा है, “मुझे इन परिवर्तनकारी नीतियों के शुरुआती वर्षों को प्रत्यक्ष रूप से देखने का दुर्लभ सौभाग्य मिला, जब हम दोनों 1990 के दशक में वित्त मंत्री के रूप में कार्यरत थे। हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए एक उत्कट प्रतिबद्धता साझा की – यहां तक कि एक बड़े मामले को सुलझाने में भी हमने सहयोग किया।”
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में डॉ. सिंह की जो प्रशंसा होगी, वह वास्तव में उचित होगी।
प्रधानमंत्री इब्राहिम ने लिखा है कि “एक राजनेता के रूप में थोड़े अजीब” लेकिन एक राजनेता के रूप में निर्विवाद रूप से ईमानदार और दृढ़, डॉ. सिंह एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।
उन्होंने कहा कि डॉ. सिंह उनके लिए इन सब प्रशंसनीय बातों के अलावा इनसे भी अधिक मान रखते हैं।
इस पोस्ट में उन्होंने अपने बेटे इसहसान की पढ़ाई के लिए भारत से वजीफे की पेशकश का रहस्योद्घाटन करते हुए लिखा है, “बहुत से लोग यह नहीं जानते, और अब समय आ गया है कि मैं इसे मलेशियाई लोगों के साथ साझा करूँ: मेरे कारावास के वर्षों के दौरान, उन्होंने एक ऐसी दयालुता दिखाई, जो उन्हें करने की आवश्यकता नहीं थी, एक ऐसी दयालुता जो न तो राजनीतिक रूप से सुविधाजनक थी और जैसा कि कोई कल्पना कर सकता है, उस समय मलेशियाई सरकार द्वारा, न ही इसकी सराहना की गई थी। फिर भी, अपने चरित्र के अनुरूप, उन्होंने इसे वैसे भी किया। उन्होंने मेरे बच्चों, विशेष रूप से मेरे बेटे, इहसान के लिए छात्रवृत्ति की पेशकश की।”
उन्होंने कहा, “हालाँकि मैंने इस शानदार प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था, लेकिन इस तरह की पेशकश ने निस्संदेह उनकी असाधारण मानवता और उदारता को दर्शाया।” उन्होंने कहा कि शायद ऐसे ही व्यक्ति के लिए किसी ने “दयालुता के दूध से भरे मनुष्य” की उपमा बनायी गयी होगी।
प्रधानमंत्री इब्राहिम ने लिखा, “उन काले दिनों में, जब मैं कारावास की भूलभुलैया में था, वह (डॉ.मनमोहन सिंह) एक सच्चे दोस्त की तरह मेरे साथ खड़े थे। शांत उदारता के ऐसे कार्य उन्हें परिभाषित करते हैं, और वे हमेशा मेरे दिल में अंकित रहेंगे।”
श्री इब्राहिम ने इस संदेश को “ अलविदा, मेरे मित्र, मेरे भाई, मनमोहन’ संबोधन के साथ समाप्त किया है।