इसके विपरीत पुराना पुल एवं मार्किट में जे पी चौक तक सन्नाटा छाया रहता है।यंहा नागरिकों ने मांग की है की क्या इस बाजार के लोगो को अपनी रोजी रोटी कमाने का हक नही है क्या यही व्यवस्था का सही प्रबंधन है ?मन्दिर में जन सैलाब है और मेन मार्केट खाली है.मेन मार्किट वाले अपनी आर्थिक आवश्यकता की पूर्ति के लिए फिर क्या करे
फारेस्ट तिराहा और पुराने बस स्टैंड को बंद कर के सारे श्रद्धालु को एक ही रास्ते से मन्दिर भेजना और भीड़ बड़ाना क्या बेहतर लोकव्यवस्था का प्रमाण हैऔर यदि हे तो फिर भीड़ की स्थिति में कोई दुर्घटना होती हैं तो उसका जिम्मेदार कोन रहेगा ?