सुको के आदेश के बाद हाईकोर्ट ने दिये निर्देश
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक के पद पर जिन बीएड डिग्री धारकों को नियुक्ति दी गई है उनका तुलनात्मक चार्ट पेश करने के निर्देश राज्य सरकार को दिये है। जस्टिस शील नागू व जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की युगलपीठ ने उक्त निर्देश सर्वोच्च न्यायालय के दिये गये फैसले के बाद देते हुए मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल को निर्धारित की है।
उल्लेखनीय है कि सैकड़ों डीएलएड छात्रों की ओर से मप्र हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्राथमिक शिक्षक के पद पर बीएड डिग्री धारकों को नियुक्ति देने को चुनौती दी है। जिनकी ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 नवंबर 2023 को प्राथमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए बीएड डिग्री धारियों को अयोग्य घोषित किया था। इस फैसले के स्पष्टीकरण के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका दायर की थी। जबकि राज्य सरकार ने शपथ पत्र दाखिल कर बताया था कि प्राथमिक शिक्षकों की कुल 21962 नियुक्तियों में से 11,583 बीएड अभ्यर्थी हैं। शेष पद डीएलएड उम्मीदवारों से भरे गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रतीक्षा सूची में से 284 बीएड डिग्री वाले अभ्यर्थियों को नियुक्त किया गया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने पक्ष रखते हुए बताया कि पुर्नविचार याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल 2024 को स्पष्ट किया है कि 8 नवंबर 2023 के बाद प्राथमिक शिक्षकों के रूप मे बीएड डिग्री धारियों की नियुक्तियां पूर्णरूप से अवैधानिक हैं। जो नियुक्ति उक्त दिनांक के पूर्व की गई हैं और जिनमें हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश बरकरार है, उनकी वैधानिकता के संबंध में मप्र हाईकोर्ट फैसला करेगा। उक्त मामले में सुकों के फैसले के बाद न्यायालय ने तुलनात्मक चार्ट पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल को निर्धारित की है।