स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने दी लोकसभा में जानकारी.
मंत्री ने माना : 1.5 करोड़ ग्रामीण हो रहे परेशान.
भोपाल: मध्य प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की भारी कमी है. इसकी वजह से लगभग डेढ़ करोड़ ग्रामीण लोगों को इलाज मिलने में दिक्कत हो रही है. यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शनिवार को लोकसभा में दी.उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के गांवों में 542 पद डॉक्टरों के खाली हैं. नड्डा ने माना कि डॉक्टरों की कमी से प्रदेश के गांवों में लोगों को इलाज कराने में बहुत मुश्किल हो रही है, क्योंकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पीएचसी में डॉक्टर ही नहीं हैं. 1440 पीएचसी में डॉक्टरों के 1946 पदों में से 542 खाली हैं.
केंद्रीय मंत्री नड्डा ने बताया कि पीएचसी में डॉक्टरों की कमी बहुत बड़ी समस्या है. हर 30 हजार ग्रामीण लोगों के लिए एक पीएचसी होना चाहिए. इस हिसाब से एमपी में लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को अपने नज़दीक इलाज नहीं मिल पा रहा है. उन्हें जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज या प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है. उन्होंने माना कि डॉक्टरों की कमी से पीएचसी के दूसरे कर्मचारियों का भी पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है. हर पीएचसी में एक डॉक्टर के अलावा नर्स, फार्मासिस्ट और दूसरे कर्मचारी भी होते हैं, लेकिन डॉक्टर न होने से उनका काम भी प्रभावित होता है.
उन्होंने बताया कि यूपी, बिहार और महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश में डॉक्टरों की भारी कमी है. इसका कारण डॉक्टरों को आवास, बच्चों की पढ़ाई और कम वेतन जैसी समस्याएं हैं. वही कई डॉक्टर एमबीबीएस के बाद एमडी-एमएस की तैयारी करने के लिए बड़े शहरों की ओर रुख करते हैं