इंदौर:आईडीए ने शहर के पश्चिम क्षेत्र में कन्वेंशन सेंटर का प्रस्ताव किया है. मगर मौके पर जमीन ही नहीं है या यूं कहे कि जमीन का मालिकाना हक¸ आईडीए के पास ही नहीं है. जमीन दो विभागों के बीच उलझी हुई है.पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधानसभा चुनावों के पूर्व सुपर कॉरीडोर पर 10 हजार बैठक क्षमता का कन्वेंशन सेंटर बनाने के घोषणा कर गए थे. आईडीए को इसका जिम्मा सौंपा गया था, मगर इतने बड़े कन्वेंशन सेंटर के लिए जितनी जमीन चाहिए, उतनी आईडीए के पास नहीं है.
आईडीए ने कन्वेंशन सेंटर को योजना 172 में शामिल किया है. उक्त योजना में आईडीए के पास 17 एकड़ जमीन नहीं है. आईडीए द्वारा वन विभाग की जमीन पर कब्जा कर कन्वेंशन सेंटर बनाने का प्लान है. पिछली 5 दिसंबर को बोर्ड बैठक में टीएनसीपी से नक्शा पास करने की स्वीकृत लेने का प्रस्ताव किया गया है. चूंकि आईडीए के पास कन्वेंशन सेंटर निर्माण के लिए जमीन नहीं है, बावजूद इसके प्रस्ताव करना और योजना में शामिल नहीं होने के बाद योजना में समाविष्ट करने को क्या समझा जाएं? आईडीए के भू अर्जन अधिकारी सुदीप मीणा ने कहा कि जमीन के लिए प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर क्लीयरेंस मांगा है. जमीन वन विभाग की है, वहां से कोई जवाब नहीं आया है.
वन विभाग की जमीन पर ही सबकी निगाहें क्यों है ?
एयरपोर्ट रोड पर वन विभाग की जमीन पर ही बीएसएफ का नया कैंपस, केंद्रीय विद्यालय बना है. गांधीनगर की जमीन पर मेट्रो का डिपो बनने के बाद तत्कालीन कलेक्टर मनिषसिंह से गांधी नगर संस्था को वन विभाग के जमीन दिलाने का आश्वासन दिया हुआ है. अब सुपर कॉरीडोर पर इमार कॉलोनी के पहले सड़क किनारे की वन विभाग की जमीन पर आईडीए ने कन्वेंशन सेंटर बनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया. दूसरी ओर शहर में सिटी फॉरेस्ट विकसित करने के बात हो रही है. जब फारेस्ट की जगह पक्का निर्माण होगा तो फॅारेस्ट कहां बनेगा ?