लोक कला व हस्तशिल्प का अद्भुत संगम 13 दिसंबर को

मुंबई/जयपुर, (वार्ता) देश की समृद्ध लोक सांस्कृतिक धरोहर अब मुंबई में 13 दिसंबर को रूमादेवी फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘रूमायना रंगोत्सव’ एक ऐतिहासिक कार्यक्रम के रूप में पेश होगा, जो न केवल कलाप्रेमियों के लिए, बल्कि देश की पारंपरिक कला और संस्कृति से जुड़ने की चाह रखने वालों के लिए भी खास होगा।

रूमा देवी फाउंडेशन की निदेशक सामाजिक कार्यकर्ता रूमा देवी ने शनिवार को बताया कि यह कार्यक्रम मुंबई के अंधेरी वेस्ट स्थित मुक्ति सांस्कृतिक ऑडिटोरियम में अपराह्न चार बजे से रात नौ बजे तक आयोजित होगा। कार्यक्रम में भक्तिकाल से चली आ रही प्राचीन वीणा भजन परंपरा की सजीव प्रस्तुति होगी, जिसमें गोरख, कबीर, डूंगरपुरी, मीरा, तुलसी, दादू, सूरदास, रविदास जैसे महान संतों की वाणियों का गायन किया जाएगा।

इसके अलावा गांवों की पारंपरिक हस्त कला की प्रदर्शनी भी लगेगी, जिसमें गाँव की महिला हस्तशिल्पियों द्वारा बनाई गई शिल्पकला का जीवंत प्रदर्शन होगा।

कार्यक्रम संयोजक सुरेश जैन एवं प्रकाश कानूनगो ने बताया कि रूमायना रंगोत्सव के लिए तैयारियां अंतिम चरण में हैं। कोई 50 से अधिक लोक कलाकार और 25 महिला हस्तशिल्पी पूरी मेहनत और समर्पण से अपनी प्रस्तुतियों के लिए अभ्यास कर रहे हैं। कार्यक्रम में आठ वर्ष से लेकर अस्सी वर्ष तक के कलाकार अपने अद्भुत हुनर का प्रदर्शन करेंगे। इस मौके पर दर्शकों को न केवल संगीत और कला का संगम देखने को मिलेगा बल्कि वे हमारी सांस्कृतिक विरासत के करीब से अनुभव कर सकेंगे।

 

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