डीएपी खाद पाने के लिये इस कड़ाके की ठण्ड में करहिया मंडी में रात गुजार रहे किसान

आक्रोशित किसानो ने रीवा-सेमरिया मार्ग में लगाया जाम, खाद न मिलने से किसान आक्रोशित

नवभारत न्यूज

रीवा, 26 नवम्बर, डीएपी खाद को लेकर जिले भर में हाहाकार मचा हुआ है. खेत में पलेवा लगाने के बाद किसान खाद के लिये दर-दर भटक रहा है. किस तरह से किसान खाद को लेकर परेशान है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि डीएपी खाद के लिये महिलाएं कतार में लग रही है. रात में लाइन में लगने के बाद भी खाद नही मिल रही है.

मंगलवार को खाद न मिलने पर किसानो ने जमकर हंगामा किया और रीवा-सेमरिया मार्ग में जाम भी लगा दिया. हालाकि बाद में जाम हटा दिया. करहिया मंडी में चार काउंटर बनाए गए है लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा है कि खाद सभी को नही मिल पा रही है. पहले तीन काउंटर बनाए गए थे और उसके बाद एक काउंटर और बढ़ा दिया गया है. खेतो में सिंचाई करने के बाद बोनी के लिये किसान खाद खोज रहा है. करहिया मंडी में खाद मिल रही है पर यहा लंबी लाइन लगती है. मंगलवार को खाद पाने के लिये दिन भर किसान भटकते रहे. अधिकारियों को तैनात किया गया है जिनके निगरानी में खाद का वितरण हो रहा है. व्यापारियों के यहा मंहगे दाम पर खाद खरीदने को किसान विवश है लेकिन सहकारी समितियों में खाद नही मिल रही है.

रात में लग जाती है लाइन

करहिया मंडी में खाद वितरण को लेकर चार काउंटर बनाए गए है और यहा खाद के लिये किसान रात में ही पहुंच जाते है, जिसमें महिलाएं भी शामिल है. रात 3 बजे से लाइन लगनी शुरू हो जाती है और दिन भर लोग लाइन में अपनी बारी का इंतजार करते खड़े रहते है. कई लोगो को खाद तो मिल जाती है लेकिन कुछ को खाद नही मिल पाती है. अव्यवस्था का आलम है कोई व्यवस्था नही की गई है, खुद किसान अपने तरीके से जूझते रहते है. अगर खाद पर्याप्त मात्रा में है तो काउंटर बढ़ाए जाए ताकि इस कड़ाके की ठण्ड में किसान परेशान न हो.

किसानों की दुर्दशा देखी नहीं जाती: कविता पांडेय

कांग्रेस की प्रदेश महासचिव श्रीमती कविता पाण्डेय ने कहा कि किसानों ने अपने खेत में पानी दे दिया है पलेबा हो गया है अब यूरिया और डीएपी तुरंत चाहिए विगत 15 दिनों से पूरे जिले में डीएपी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. 4-6 दिन से रात-रात भर किसान करहिया मंडी में खाद के लिए भूखे प्यासे ठंडी में सीसकते बैठे हैं किसानों को देखना बेहद तकलीफ भरा है. सरकारी ऑफिसर ऑफिस में बैठकर फरमान जारी कर रहे हैं कि डीएपी है नहीं तो हम कहां से दें. स्टॉकिट्स और बिचौलिए 2000 रूपये बोरी खुले आम बेच रहे हैं कोई देखने सुनने वाला नहीं है. अगर डीएपी की आपूर्ति नही हुई तो किसान सडक़ पर उतरेगा, जिसकी जवाबदारी प्रशासन की होगी. खाद के लिये किसान दर-दर भटक रहा है.

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