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रीवा, 12 अप्रैल, रीवा जिले में संचालित सुपर स्पेशलिटी चिकित्सालय रीवा में शासकीय चिकित्सालयों में से सबसे पहले ओ.सी.टी एवं कंटिग बैलून माध्यम से पूर्ण रूप से बंद स्टेंट को खोलने वाला प्रथम इंस्टीट्यूट बन गया है. विगत दिवस एक 75 साल के बुजुर्ग डा0 एस.के त्रिपाठी सह प्राध्यापक हृदयरोग विभाग के पास सीने में तेज दर्द के लक्षणो के साथ ओपीडी में पहुंच थे. जहां डा0 त्रिपाठी द्वारा मरीज को भर्ती करने मरीज की एजियोंग्राफी की योजना बनाई गई. तदोपरांत एजियोंग्राफी में पाया गया िक दिल की नस में पूर्व में लगा स्टेंट 100 प्रतिशत बंद था और उसमें कैल्शियम का बहुत ज्यादा जमाव था. ऐसे में सामान्य एंजियोप्लास्टी कर पाना असम्भव होता है. इन केसेस को करने के लिये ओसीटी जैसे स्पेशल तकनीक का प्रयोग होता है, पूर्ण रूप से बंद स्टेंट में जिस तत्व का जमाव होता है उसे ओसीटी के माध्यम से बेहतर तरीके से देखा जा सकता है. इस विशेष प्रोसीजन हेतु डा0 त्रिपाठी द्वारा ओ.सी.टी का प्रबंध किया गया एवं कटिंग बैलून के माध्यम से प्रोसीजर को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया गया. डा0 त्रिपाठी द्वारा ओ.सी.टी तकनीक के बारे में बताया गया कि यह तकनीक नियर एनआईएल तकनीक से कार्य करती है जिसमें कैथियेटर के माध्यम से लाईट सोर्स कोरोनरी आर्टरी में ईन्र्सट किया जाता है. जिससे आर्टरी के अंदर की बीमारी का सही आंकलन हो पाता है एवं स्टेंट की साईज का सही अनुमान लग पाता है. इससे सटीक तरीके से एंजियोप्लास्टी करने में सहायता मिलती है तथा कार्डियोलाजिस्ट जटिल एंजियोप्लास्टी भी सरलता से कर पाते है. उपरोक्त प्रोसीजर प्रदेश में संचालित प्राइवेट संस्थानो में काफी मंहगे है तथा सामान्य जन को इस प्रोसीजरो का खर्चा करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. इन प्रोसीजरो को बिना टीम वर्क के कर पाना असम्भव था, इन नामुमकिन से लगने वाले प्रोसीजर को मुमकिन बनाने में हमारे कैथलैब टेक्नीशियन जय नारायण मिश्र, सत्यम, सुमन, मनीष, सुधांशु, फैजल, नर्सिग स्टाफ का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
अधीक्षक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा डा0 अक्षय श्रीवास्तव द्वारा बतायाग या कि सुपर स्पेशलिटी चिकित्सालय में रोटाब्लेटर एवं आई.वी.यू.एस जैसी मशीन उपलब्ध हो जाने से हृदयरोग से संबंधित जटिल सर्जरियों को किया जाना संभव हो सकेगा.