कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगायी आस्था की डुबकी

पटना, 15 नवंबर (वार्ता) कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बिहार में श्रद्धालुओं ने आज गंगा नदी में स्नान कर आस्था की डुबकी लगाई।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं।हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है।इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान कर के दीपदान एवं दान करने का खास महत्‍व होता है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का अंत किया था। इसी कारण से इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं, जिसकी खुशी में देवताओं ने हजारों दीप जलाकर दीवाली मनाई थी। जो आज भी देव दिवाली के रूप में मनाई जाती है। साथ ही सिखों के लिए भी ये दिन खास होता है क्योंकि इस दिन गुरु नानक जयंती होती है।इस दिन को दामोदर के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान विष्णु का ही एक नाम है। कार्तिक पूर्णिमा का दिन काफी पवित्र और शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर राजधानी पटना में देर रात से ही ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया, जो अभी तक जारी है। सुबह होते ही श्रद्धालु ‘हर-हर गंगे, जय गंगा मैया, हर हर महादेव’ के जयकारे के साथ गंगा में डुबकी लगाने लगे। स्नान के बाद लोगों ने विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना की और दान किया।कार्तिक पूणिमा के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है। इस दिन जो भी दान किया किया जाता है, उसका पुण्य कई गुना अधिक प्राप्त होता है। इस दिन अन्न, धन और वस्त्र दान का विशेष महत्व है। पटना से हजारों श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए सोनपुर भी पहुंचे और वहां स्नान के साथ ही महादेव की पूजा-अर्चना की।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और भगवान हरि एवं शिव की पूजा करने से पूर्वजन्म के साथ इस जन्म के भी सारे पाप नाश हो जाते हैं। साथ ही गंगा या अन्य नदियों में स्नान से सालभर के गंगास्नान और पूर्णिमा स्नान का फल मिलता है। भगवान श्रीहरि ने कार्तिक पूर्णिमा पर ही मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि की फिर से रचना की थी। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन सोनपुर में गंगा गंडकी के संगम पर गज और ग्राह का युद्ध हुआ था। गज की करुणामई पुकार सुनकर भगवान विष्णु ने ग्राह का संहार कर भक्त की रक्षा की थी। इस दिन घर में दीपक जलाने से पुण्य मिलता है, और जीवन में ऊर्जा का संचार भी होता है। लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने कहा कि कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा में भरणी नक्षत्र के साथ व्यतिपात एवं वरीयान योग के युग्म संयोग में श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगायी। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति में कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक एवं आध्यात्मिक माहात्म्य है। आज धार्मिक आयोजन, पवित्र नदी में स्नान, पूजन और दान-धर्म का विधान है। वर्ष के बारह मासों में कार्तिक मास आध्यात्मिक एवं शारीरिक ऊर्जा संचय के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। श्रद्धालु आज गंगा स्नान के बाद श्री सत्यनारायण प्रभु की कथा का श्रवण, गीता पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप करकेपापमुक्त-कर्जमुक्त होकर भगवान विष्णु की कृपा पाएंगे।

पंडित राकेश झा ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा को भगवान विष्णु की अपार कृपा बरसती है। आज गंगा स्नान से शरीर में पापों का नाश एवं सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। भगवान नारायण ने अपना पहला अवतार मत्स्य अवतार के रूप में कार्तिक पूर्णिमा को लिए थे। पूर्णिमा को भगवान विष्णु के निकट अखण्ड दीप दान करने से दिव्य कान्ति की प्राप्ति होती है, साथ ही जातक को धन, यश, कीर्ति का लाभ भी मिलता है। गंगा स्नान के बाद दीप-दान करना दस यज्ञों के समान होता है। आज अन्न, धन, वस्त्र, घी आदि दान करने से कई गुना फल मिलता है।

श्री झा ने बताया कि कार्तिक मास की त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को पुराणों ने अति पुष्करिणी कहा है। स्कंद पुराण के अनुसार जो प्राणी कार्तिक मास में प्रतिदिन स्नान करता है, वह यदि केवल इन तीन तिथियों में सूर्योदय से पूर्व स्नान करे तो भी पूर्ण फल का भागी हो जाता है। शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का बहुत महत्व बताया गया है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष गंगा स्नान करने का फल मिलता है । इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों एवं तीर्थों में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। घर पर स्नान करने वाले जातक पानी में गंगाजल और हाथ में कुश लेकर स्नान करे उससे भी गंगा स्नान का ही फल मिलता है। इस पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप-दान, हवन, जाप आदि करने से सांसारिक पाप और ताप दोनों का नाश होता है।कार्तिक महीना भगवान कार्तिकेय द्वारा की गई साधना का माह माना गया है। इसी कारण इसका नाम कार्तिक महीना पड़ा हैं । नारद पुराण के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर संपूर्ण सद्गुणों की प्राप्ति एवं शत्रुओं पर विजय पाने के लिए कार्तिकेय जी के दर्शन करने का विधान है। पूर्णिमा को स्नान अर्घ्य, तर्पण, जप-तप, पूजन, कीर्तन एवं दान-पुण्य करने से स्वयं भगवान विष्णु पापों से मुक्त करके जीव को शुद्ध कर देते हैं।

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