अरेरा कालोनी के व्यक्ति को जालसाजों ने किया था अरेस्ट
भोपाल. 10 नवंबर. राजधानी के अरेरा कालोनी में रहने वाले एक कारोबारी को सायबर जालसाजों ने डिजिटली अरेस्ट कर लिया. जालसाजों ने करीब छह घंटे तक उन्हें कमरे से बाहर नहीं निकलने दिया. सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची राज्य सायबर पुलिस की टीम ने कारोबारी को जालसाजों के चंगुल बाहर निकाला. समय पर पुलिस नहीं पहुंचती तो जालसाज लाखों रुपये की ठगी कर सकते थे. राज्य सायबर पुलिस द्वारा की गई यह कार्रवाई डिजिटल अरेस्ट के मामले में देश की पहली कार्रवाई मानी जा रही है. जानकारी के अनुसार अरेरा कालोनी में रहने वाले विवेक ओबेराय कारोबारी हैं. भोपाल के अलावा वह दुबर्ई में भी कारपोरेट सेक्टर में काम करते हैं. शनिवार दोपहर करीब एक बजे अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें फोन किया और बताया कि आपके आधार कार्ड पर ली गई मोबाइल सिमें गलत कामों में उपयोग की जा रही हैं. इसके साथ ही आपके आधार कार्ड पर देश के अलग-अलग राज्यों में फर्जी बैंक एकाउंट भी खोले गए हैं. यह सुनकर विवेक काफी घबरा गए तो अज्ञात व्यक्ति ने उनके मोबाइल पर स्काइप ऐड डाउनलोड करवाया और वीडियो काल करके दूसरे अधिकारियों से बात कराई. जालसाजों ने ट्राई लीगल सेल, सीबीआई, मुंबई क्राइम ब्रांच का अफसर बनकर उनसे पूछताछ करने लगे. इस दौरान विवेक को कहा गया था कि जब तक इन्वेस्टीगेशन चल रही है, तब तक परिवार अथवा अन्य किसी को कुछ नहीं बताएं और कमरे से बाहर भी नहीं जाना है. पड़ोसी ने दी पुलिस को सूचना दोपहर बाद एक पड़ोसी ने विवेक को कई बार फोन लगाया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया. शाम को वह उनके घर पहुंचे तो परिवार वाले मिले. विवेक के बारे में पूछने पर परिजनों ने बताया कि वह अपने कमरे में हैं और वीडियो काल पर किसी से बात कर रहे हैं. उन्होंने बोला है कि इन्वेस्टीगेशन पूरा होने के बाद ही वह बाहर आएंगे. यह सुनते की पड़ोसी को शंका हुई तो उन्होंने तुरंत ही पुलिस को सूचना दी. पुलिस से यह सूचना राज्य सायबर सेल पहुंची तो तुरंत ही दो पुलिसकर्मी उनके घर भेजे गए. सायबर टीम के पहुंचते ही ऑफ हुई स्क्रीन सायबर पुलिस के दो कर्मचारी विवेक के घर पहुंचे और परिजनों से बातचीत करके कमरे का दरवाजा खुलवाया. उस वक्त लैपटाप पर तीन लोग वीडियो कालिंग पर विवेक से बातचीत कर रहे थे. पुलिस ने जब अपना परिचय देते हुए बात करने वालों का परिचय पूछा तो तत्काल ही स्क्रीन ऑफ हो गई और फोन कट गए. विवेक ने पुलिस को बताया कि वह बुरी तरह से डर गए थे, इसलिए किसी को कुछ नहीं बता रहे थे. जालसाज उनसे परिवार की और निजी जानकारियां पूछ रहे थे. कुछ देर होती तो वह लाखों रुपए जालसाजों को ट्रांसफर कर देते थे. डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं देश में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई भी प्रावधान नहीं है. कोई असली पुलिस अधिकारी/ टेलीकांम डिपार्टमेंट अधिकारी फोन पर अथवा वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट होने के लिए कहता है तो ऐसे कॉल या मेसेज का कोई प्रतिउत्तर नहीं दें. इस प्रकार के नंबर्स को तत्काल ब्लाक करें और नजदीकी पुलिस थाने में शिकायत करें. देश के प्रधानमंत्र नरेंद्र मोदी भी मन की बात कार्यक्रम में कह चुके हैं कि डिजिटल अरेस्ट से डरे नहीं, रुकें, सोचें और फिर एक्शन लें.