सियासत
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भले ही अपनी कार्यकारिणी घोषित कर दी हो लेकिन उनके आगे की राजनीति इस बात पर निर्भर करेगी कि विजयपुर और बुधनी उपचुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहता है ? यदि दोनों जगह कांग्रेस पराजित होती है तो फिर जीतू पटवारी के लिए प्रदेश अध्यक्ष की राह आसान नहीं रहेगी। यदि अध्यक्ष बने भी रहे तो भी उन्हें कांग्रेस चलाने में परेशानी आएगी। प्रदेश के एक वरिष्ठ कांग्रेस के नेता के अनुसार बुधनी में कांग्रेस के जीतने की कोई संभावना नहीं है। वहां राजकुमार पटेल केवल औपचारिकता निभाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। विजयपुर में जरूर कांग्रेस अच्छी टक्कर दे सकती है क्योंकि यहां पार्टी ने आदिवासी उम्मीदवार उतारा है। हालांकि भाजपा के संगठन के सामने कांग्रेस विजयपुर में कितना टिक पाएगी यह देखना होगा। विजयपुर में भाजपा ने कैबिनेट मंत्री रामनिवास रावत को उतारा है जिन्होंने दल बदल की वजह से विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। उपचुनाव में कैबिनेट मंत्री को हराना मुश्किल काम रहता है। जाहिर है विजयपुर और बुधनी न केवल कांग्रेस बल्कि जीतू पटवारी के लिए भी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। जीतू पटवारी को अध्यक्ष बने लगभग 1 साल पूरा होने जा रहा है।इस दौरान लोकसभा के बाद छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा उपचुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। अपने 15 वर्ष के राजनीतिक सफर में जीतू पटवारी फर्श से अर्श पर पहुंचे हैं, लेकिन हार की हैट्रिक पटवारी के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। जीतू पटवारी बुधनी और विजयनगर विधानसभा उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंककर हार को जीत में बदलने की कोशिश में लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पटवारी के लिए यह किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है । मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी पहले विधानसभा 2023 में सत्ता से बाहर हुई। 2024 लोकसभा चुनाव मध्य प्रदेश के 29 के 29 लोकसभा सीट गंवा बैठी। इसके बाद अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में पूर्व सीएम कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा की सीट गंवा बैठी। अब एक बार फिर से कांग्रेस जीतू पटवारी को आजमा रही है। 13 नवंबर को बुधनी और विजयपुर विधानसभा उपचुनाव होना है।