जिले भर में धूमधाम से मना दीपोत्सव, रोशनी से घर-घर जगमगाये

० शाम ढलते ही दीपकों की रोशनी से जगमगाने लगे घर एवं प्रतिष्ठान, शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी एवं श्रीगणेश की हुई पूजा-अर्चना

नवभारत न्यूज

सीधी 1 नवम्बर। जिले में दीपावली का त्यौहार धूमधाम से मनाया गया। शहर से लेकर गांव तक पर्व की धूम रही। लोगों ने जमकर बाजारों में खरीदी की और आतिशबाजी का लुत्फ भी उठाया। अपने दोस्त व परिजनों के घर मिठाइयां खाकर दीपावली की बधाई दी। त्यौहार में बच्चे, बूढ़े, जवान सभी ने भरपूर मनोरंजन किया। शाम को मंदिर व घरों में दीपक जलाए गए।

इससे पहले बच्चे, बूढ़़े, जवान ही नहीं आकर्षण परिधान में सजधज कर तैयार महिलाओं ने मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना कर जीवन मंगल की कामना की। शाम ढलने के साथ ही घर व प्रतिष्ठान में आरती की स्वर लहरियां सुनाई देने लगी। इधर घर व मुंडेरों पर टिमटिमाते दियों के साथ वातावरण में पटाखों की गूंज से आकाश में बिखरती रंग-बिरंगी रोशनी से रात जगमगा उठी। घर व व्यवसायिक प्रतिष्ठान पर रंग बिरंगी रोशनी की तो आकाश में आतिशबाजी से सितारों की बारात सा नजारा दिखा। इससे पहले सुबह से घरों के अलावा बाजार में काफी रौनक दिखाई दी। घर को साज सजाने के साथ खरीदारी को पहुंचे लोगों से बाजार गुलजार हो उठे। शहर के गांधी चौक, डीपी कॉम्पलेक्स, सब्जी मंडी, लालता चौक, अस्पताल चौक, सम्राट चौक आदि विभिन्न जगहों पर लक्ष्मी पूजन सामाग्री, सजावट के सामान, मिठाई आदि के प्रतिष्ठानों पर खरीदारों की उमड़ी भीड़ से बाजार गुलजार हो गए। सभी ने उक्त सामान की जमकर खरीदारी की। शहर से लेकर गांव तक आतिशबाजी का दौर देर शाम तक चला। लोगों ने रॉकेट छोडक़र दीपावली का खूब मजा लिया। जिले भर में प्रकाश का पर्व दीपावली परंपरागत उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई गई। दीपावली को उसकी पूरी रंगत में मनाने के लिए लोगों ने विशेष तैयारियां की थी। दरवाजों पर फू ल से सजावट की गई तो रात के समय घर को जगमगाने के लिए दीपमालाओं का बंदोबस्त किया गया था। शाम ढलते ही समूचा शहर सहित ग्रामीण इलाका रोशनी से जगमगा उठा। सोशल मीडिया के माध्यम से भी बधाई देकर त्यौहार की खुशियां बांटी गई। दीपावली एवं परीवा पर जुआं खेलना शुभ माना जाता है।

इसी वजह से करोड़ों का दांव लगाकर जुआरी अपनी किस्मत को आजमाते हैं। दीपावली त्यौहार पर पुलिस जहां कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सघन गस्त में व्यस्त रही, वहीं जुआरी इसी का फायदा उठाकर जुआं खेलने में व्यस्त रहे। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जुआं के फड़ सजे रहे और यहां लम्बे दांव भी लगते रहे। यह अवश्य है कि कुछ लोग इसे दीपावली पर किस्मत जगाना भी मानते हैं। कुछ लोग दीपावली पर शौकिया जुआं खेलते हैं तो कुछ लोग किस्मत आजमाने के लिए जुआं खेलते हैं। लोगों की अलग-अलग सोच भले ही हो लेकिन दीपावली पर जुआं के लम्बे फड़ भी कई स्थानों पर जमते हैं। जहां एक ही रात में करोड़ों का जुआं खेला जाता है। किसी को जुआं खेलने में लम्बी सफलता मिलती है तो किसी को लम्बी हानि भी उठानी पड़ती है। फिर भी पुलिस की सक्रियता के चलते जुआरियों की गतिविधियां भी इस वर्ष थमी हुई नजर आ रही थी। दीपावली पर पूजा-अर्चना का दौर भी देर रात तक चलता रहा। व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में विशेष विधि विधान से पूजा अर्चना करके श्रीगणेश-लक्ष्मी को प्रसन्न करने का प्रयास किया गया।

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कस्बाई एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रही दीपोत्सव की रौनक

जिले के कस्बाई एवं ग्रामीण क्षेत्रों में दीपोत्सव की रौनक छाई रही। कुसमी अंचल में रविवार को दीपावली का पर्व धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर लोगों ने घरों के साथ ही व्यवसायिक प्रतिष्ठानो में शुभ मुहूर्त पर लक्ष्मी पूजन किया। स्थानीय कुसमी, टमसार, भदौरा, पोंड़ी वस्तुआ, भुइमाड़ के बाजारों में जमकर खरीदारी हुई। वहीं मझौली, मड़वास, पथरौला, रामपुर नैकिन, बघवार, चुरहट, सिहावल, अमिलिया, बहरी, कुचवाही, कमर्जी अंचल में भी दीपावली के पर्व पर घरों के साथ ही दुकानें रोशनी से जगमग नजर आए। पूजा-अर्चना के बाद बच्चों से लेकर नौजवानों बड़ो ने भी जमकर पटाखे छोड़े। आतिशबाजी की देर रात तक पटाखों की गूंज सुनाई दी, बेटियों ने रंग-बिरंगी रंगोलियां उकेरकर दीप जलाए।

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कस्बाई एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रही दीपोत्सव की रौनक

दीपावली के दूसरे दिन आज परीवा होने के कारण अधिकांश व्यवसाईयों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे थे। चर्चा के दौरान कई व्यवसाईयों ने कहा कि दीपावली पर सभी व्यवसायी माता लक्ष्मी व श्री गणेश की पूजा अर्चना कर व्यवसाय का नया खाता शुरू करते हैं। पुरानी परम्परा है कि परीवा के दिन शुभ कार्य या कारोबार नहीं करना चाहिए। इस वजह से हर साल की भांति इस वर्ष भी व्यवसाईयों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। स्थिति यह रही कि सडक़ों पर यात्री बसों, टैक्सी एवं आटो भी नहीं चले जिसके चलते यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यह अवश्य था कि कुछ छोटी दुकानें खुली रहीं जिनसे लोग अपनी जरूरतों का सामान खरीदते रहे। परीवा पर आज बाजार में सन्नाटा पसरे रहने से लोगों की चहल-पहल भी बाजार में थमी रही। स्थिति यह रही कि बड़े व्यवसाईयों के साथ छोटे व्यवसाई भी अपनी दुकानें परीवा के चलते बंद किए हुए थे। फुटपाथी व्यवसाईयों की भी दुकानें आज अधिकांशत: बंद रहीं।

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