नरसिंहपुर, 27 अक्टूबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने आज श्री गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रतिमा का अनावरण किया।
श्री पटेल ने कहा कि श्री गणेश शंकर विद्यार्थी एक क्रांतिकारी पत्रकार थे और उन्हें हिन्दी पत्रकारिता का प्रमुख स्तंभ माना जाता है। वे पत्रकारिता जगत का एक ऐसा नाम थे, जिनके लेखन से ब्रिटिश सरकार भी डरती थी। किसानों एवं मजदूरों को हक दिलाने के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष किया तथा आजादी के आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे। भारतीय इतिहास के एक सजग पत्रकार, देशभक्त, समाजसेवी और स्वतंत्रता संग्राम के सक्रिय कार्यकर्ता थे। आज उनकी प्रतिमा अनावरण का कार्यक्रम उनके द्वारा किये गये उल्लेखनीय कार्यों को स्मरण करने के लिए है।
श्री पटेल ने कहा कि व्यक्ति का रोग डॉक्टर एवं समाज का रोग पत्रकार बताता है। पत्रकार समाज की कमजोरी को आंककर उसके समाधान के बारे में सोचता है। जिस प्रकार डॉक्टर हमें रोग की जानकारी देता है, तो हम बुरा नहीं मानते। ठीक उसी तरह समाज के दोष बताने वालों की बातों का भी बुरा नहीं मानना चाहिये। यह कार्य बेबाकी से करने का काम गणेश शंकर विद्यार्थी ने किया है। उनके बताये पदचिन्हों पर चलने की जरूरत है। उनकी जीवनशैली आज भी अनुकरणीय है। उनके जीवन में जो चुनौतियां थी, वह उससे घबराये नहीं। उन्होंने कहा कि जब मुझे इस कार्यक्रम का आमंत्रण मिला, तो मैंने कहा था कि मैं अवश्य इस कार्यक्रम में आऊंगा।
पूर्व राज्यसभा सांसद श्री सोनी ने इस कार्यक्रम के लिए सभी को बधाई दी और कहा कि श्री गणेश शंकर विद्यार्थी का जीवन समाज व राष्ट्र के लिए समर्पित था। उन्होंने अपनी लेखनी से राष्ट्रीय चेतना को जगाने का प्रयास किया। हिंदुस्तान के श्रेष्टम पत्रकार की प्रतिमा करेली में स्थापित की गई है। युवा पीढ़ी उनके इन कार्यों को जान सकेगी। कानपुर में हुये साम्प्रदायिक दंगों में उन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया, जिससे सामाजिक सदभाव कायम रहे। करेली की अपनी अलग पहचान है। यहां के पत्रकारों ने आम आदमी की बात को रखने का काम बखूबी किया है। आगे भी यह कार्य होता रहे।
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आचार्य ने कहा कि करेली में बौद्धिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रचना बेहद सुव्यवस्थित एवं सुनियोजित तरीके से होती है। पत्रकारिता के साथ- साथ समाज के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले श्री गणेश शंकर विद्यार्थी की जन्मजयंती पर उन्हें नमन करता हूं। श्री विद्यार्थी ने महावीर प्रसाद द्विवेदी जैसे साहित्यकार के साथ काम किया, जिन्होंने अपनी साहित्यिक कृतियों से सांस्कृतिक चेतना को दिशा दी।