शिवराज ने दिल्ली के प्रदूषण पर बैठक की

नयी दिल्ली,26 अक्टूबर (वार्ता)केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की बिगड़ती स्थिति पर शनिवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की और इस मुद्दे पर व्यापक स्तर पर जन जागरण की अपील की।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने यहां बताया कि दिल्ली में प्रदूषण की भयानक समस्या से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन हुआ। इसकी अध्यक्षता श्री चौहान ने की।
बैठक में केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव , केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के कृषि मंत्री, दिल्ली के वन पर्यावरण मंत्री, संबंधित राज्यों के मुख्य सचिव और कृषि सचिव सहित प्रमुख अधिकारी इस बैठक में सम्मिलित हुए।
बैठक में बताया गया कि पिछले वर्ष से इस वर्ष तक पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 35 प्रतिशत और हरियाणा में 21 प्रतिशत कमी आई है। वर्ष 2017 के मुकाबले पराली जलाने की घटनाओं में भी 51 प्रतिशत से भी ज्यादा की गिरावट दर्ज की गयी है। राज्यों ने बताया कि वह स्थिति की लगातार निगरानी कर रहे हैं। इसके अलावा उनके नोडल अधिकारी तय हैं। इस संबंध में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन किया जा रहा हैं।
श्री चौहान ने कहा कि सरकार अपनी ओर से भी सारे प्रयत्न कर रही है।
उन्होंने कहा कि प्रदूषण की एक व्यापक समस्या है और इसके लिए व्यापक स्तर पर जन जागरण अभियान चलाया जाना चाहिए। एक तो व्यापक पैमाने पर जन जागरण अभियान चल रहा है। उसे और प्रभावी ढंग से केंद्र -राज्य मिलकर चलाने का प्रयत्न करेंगे।
उन्होंने बताया कि पराली जलाने से नुकसान होता है। इससे भूमि का स्वास्थ्य भी बिगड़ा है।‌ कीट भी मारे जाते हैं। धरती कड़ी हो जाती है‌ और उर्वरकता कम होती जाती है।
पिछले वर्ष सब्सिडी पर केंद्र सरकार ने प्रणाली प्रबंधन की तीन लाख से ज्यादा मशीनें दी गयी हैं। उन मशीनों का प्रभावी प्रयोग किया जाना चाहिए।
श्री चौहान ने कहा कि कई बार छोटे किसानों तक इन मशीनों की पहुंच नहीं हो पाती है, जिनके पास छोटे खेत होते हैं, वे किरायें पर मशीनें लेकर पराली का प्रबंधन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पराली को खेत में ही दबा दें तो वह खाद बन जाती है, समस्या की वजह वह वरदान बन जाती है।
श्री चौहान ने कहा कि “बायो डी कंपोजर ” का उपयोग अधिकतम किया जाना चाहिए।
आसपास के उद्योगों की मांग के आधार पर मैपिंग के माध्यम से पराली के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मिलकर सम्मिलित प्रयास किया जाना चाहिए।
बैठक में केवल पराली ही नहीं कई बार पटाखे भी अनियंत्रित संख्या में जलाए जाते हैं तो उसका भी असर पर्यावरण पर बहुत पड़ता है। उसको भी रोकने के प्रयत्नों पर चर्चा हुई है। प्रयत्नों के परिणाम भी लगातार सामने आ रहे हैं और लगातार जलने की घटनाएं भी पराली की कम हो रही है।

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