ओंकारेश्वर
ओंकारेश्वर में चल रहा है
आकाश हवा सूर्य चंद्रमा पृथ्वी अग्नि जल सभी परमात्मा ने बनाए हैं किंतु किसी के साथ इसमें भेदभाव नहीं करते हैं। स्वामीजी ने कहा की
जातियां परमात्मा ने नहीं बनाई है जातियां हमने बनाई है।
उक्त उदगार ओंकारेश्वर में शिव कोठी स्थित जायसवाल अतिथि गृह में 18 से 27 अक्टूबर तक चल रहे 10 दिवसीय ध्यान एवं सत्संग शिविर में परम पूज्य स्वामी व्यासानंद जी महाराज महर्षि मेंह्रीं ब्रम्ह विद्यापीठ हरिद्वार उत्तराखंड ने व्यक्त किये।
आपने कहा कि विश्व शांति अभियान है शिविर में भक्त नित्य नियम से हजारों की संख्या में ईश्वर की आराधना करते हैं परमात्मा सर्वशक्तिमान है अंतर्यामी है ज्ञान के भंडार हैं इनकी आराधना करने से हमारा मन शुद्ध होता है हम चरित्रवान बनते हैं हमारे अंदर जो भी बुराइयां हैं उनका त्याग होता है।
बुराइयों से बचता है काम क्रोध मद लोभ का त्याग करता है भाईचारा और सद्भावना के विचार मन में आते हैं कभी किसी का अहित न हो ऐसी विचारधारा मन में रहती है
इसी तरह ध्यान और सत्संग करने से विश्व में शांति समाज में शांति की स्थापना होती है।
जब तक संत के ज्ञान के अनुकूल अनुसरण नहीं करेंगे तब तक बुराइयां दूर नहीं होगी।
यह सत्संग और ज्ञान का शिविर जगह-जगह लगते हैं यह वैदिक सनातन धर्म की प्रणाली है ईश्वर पर विश्वास करो हमारे अंदर ईश्वर परमात्मा बैठा हुआ है सृष्टि के कण कण में है उनको प्राप्त करने के लिए यही एकमात्र रास्ता है ध्यान और सत्संग हम यदि करें तो हमारी विचारधाराओं में हमारे अंदर जो भी बुराई हैं वह दूर होकर अच्छी विचारधाराए आएंगे एक प्रश्न के उत्तर में आपने कहा कि जब देश के राजा चरित्रवान हो सामर्थ्यवान हो ताकतवर होते हैं तो राजा को जनता सहयोग करती है राजा अकेला कुछ भी नहीं कर सकता जब तक उसकी जनता उसका साथ ना दे अच्छे कामों में साथ देना चाहिए पत्रकार समाज का आईना है जो विचारधाराओं को क्रियाकलापों को समाज में अवगत कराते हैं वे साधुवाद के पात्र हैं।
प्रतिदिन सुबह चार बजे से शिविर चालू हो जाता है जो शिफ्ट में रात्रि आठ बजे तक चलता है
शिविर निशुल्क है साधक सवेच्छा से
सहयोग करते है
विश्व स्तरीय संत मत सत्संग समिति पंजीकृत द्वारा आयोजित किया जाता है
शिविर में प्रतिदिन ध्यान सतसंग प्रवचन भजन होते है