वाशिंगटन 23 अक्टूबर (वार्ता) केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को यहां कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्ष 2015 से ही कह रहे हैं कि बहुपक्षीय विकास संस्थाओं को सुधार करने और 21वीं सदी की मांगों के लिए खुद को तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए।
श्रीमती सीतारमण ने यहां विश्व बैंक और आईएमएफ की वार्षिक बैठक के इतर सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट द्वारा आयोजित ‘ब्रेटन वुड्स इंस्टीट्यूशंस एट 80: प्रायोरिटीज फॉर द नेक्स्ट डिकेड’ पर चर्चा के दौरान कहा “ हम देखते हैं कि कोविड-19 महामारी के बाद ये शब्द कितने महत्वपूर्ण थे। जी20 अध्यक्षता भारत के लिए दो आधारों पर एक अवसर था एमडीबी में सुधार और वैश्विक दक्षिण की आवाज को बुलंद करना। ब्रेटन वुड्स संस्थाओं को खुद को ‘मिशन ड्रिफ्ट’ की अनुमति नहीं देनी चाहिए और इसे संबोधित करना चाहिए और आईएमएफ संसाधन सभी देशों के लिए उपलब्ध होने चाहिए।”
श्रीमती सीतारमण ने कहा “ हमें ठोस सुधार-आधारित कदमों के लिए एक रोडमैप बनाने की आवश्यकता है, जिन्हें शुरू किया जाना चाहिए। हमने बहुत सोच-विचार और आत्मनिरीक्षण के बाद अपनी जी20 अध्यक्षता के दौरान इसकी शुरुआत की। अगले दशक की जरूरतों को पूरा करने के लिए ब्रेटन वुड्स संस्थाओं की सोच में बदलाव नितांत आवश्यक है।”
वित्त मंत्री ने कहा कि श्री मोदी ने एक बार कहा था कि भारत की प्राथमिकता अपना प्रभुत्व स्थापित करना नहीं है। भारत ने रणनीतिक और शांतिपूर्ण बहुपक्षवाद की नीति अपनाई है। भारत हमेशा बहुपक्षीय संस्थाओं के पक्ष में खड़ा रहा है।
बहुपक्षीय संस्थाओं को अपनी मुख्य क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और वैश्विक भलाई के लिए खुद को मजबूत बनाना चाहिए। भविष्य को आकार देना एक बहुत ही महत्वाकांक्षी लक्ष्य है जिसका पालन करने की आवश्यकता है और ब्रेटन वुड्स संस्थानों को इस पर काम करने की आवश्यकता है।