राइस मिलर्स ने अपनी पांच सूत्री समस्याओं का ज्ञापन कलेक्टर को सौपा

सतना:राइस मिलर्स एसोसिएशन ने पुराने भुगतान नही होने के कारण आ रही आर्थिक दिक्कतों के चलते अपनी समस्याओं से सम्बंधित ज्ञापन शुक्रवार को कलेक्टर अनुराग वर्मा को सौपा.
एसोसिएशन के अध्यक्ष पुष्पेन्द्र द्विवेदी और मंत्री प्रदीप सिंह अरोरा ने ज्ञापन में जिन समस्याओं को उठाया है उनमें बताया गया है कि उपार्जन वर्ष 2023-24 में जिले में छोटे बड़े उ‌द्योग मिलाकर लगभग 140 चावल उद्‌द्योग संचालित हो रहे थे। जिले के मिलर्स द्वारा 2023-24 में उपार्जित धान की मिलिंग का कार्य किया गया है.

जिसके अंतर्गत मिलर्सद्वारा चावल में एफ आर के मिश्रण स्वयं के हर्ज खर्च से किया जाना था बाद में मिलर्स की मांग पर यह भुगतान शासन दवारा देय किया जाना स्वीकार कर लिया गया जो की आज दिनांक तक नहीं किया गया है। जिले के मिलर्स द्वारा किए गए मिलिंग कार्य से जुड़े कार्य जैसे उपार्जन के दौरान मिलर्स द्वारा समितियों को प्रदाय बोरियों का किराया (उपयोग खर्च) मिलिंग चार्ज, परिवाहन व्यय, हम्मली, का भुगतान शासन द्वारा देय होता है जो की आज दिनांक तक नहीं किया गया है।ज्ञापन में यह भी बताया गया है कि जिले के मिलर्स द्वारा किए गए मिलिंग कार्य से उत्पादित चावल का प्रदाय एक निश्चित अनुपात से भारतीय खाद्य निगम एवं नागरिक आपूर्ति निगम के कथित गोदामी में किया गया है जिसके विरुद्ध शासन द्वारा अपग्रेडेशन की राशि निर्धारित की जाती है किन्तु आज दिनांक तक इसका किसी भी प्रकार का कोई आदेश मुख्यालय स्तर से नहीं प्राप्त हुआ है.

जिसके चलते मिलर्स को अत्यधिक आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।मिलर्स दवारा 2022-23 में उपार्जित धान में प्रदाय समितयो को बरदाने में मिलर्स द्वारा मड़े बोरियों का कटोत्रा बहुत ज्यादा किया गया है एवं मिलर्स ‌द्वारा प्रदाय बोरियों का भुगतान बहुत कम किया गया है जो की न्याय उचित नहीं है।मिलर्स ने बताया है कि 2023-24 में किए गए मिलिंग कार्य से उत्पादित चावल का प्रदाय एक निश्चित अनुपात से भारतीय खाद्य निगम एवं नागरिक आपूर्ति निगम के कथित गोदामों में जमा किया जा चुका है अतः शेष चावल जमा करने के लिए मिलर द्वारा जिला प्रबन्धक से निरंतर संपर्क में है, किन्तु जिला प्रबन्धक द्वारा पोर्टल न खुलने का हवाला दे कर भारतीय खाद्य निगम में चावल जमा करने का दवाब बनाया जा रहा है।ज्ञापन में कलेक्टर से निवेदन किया गया है कि उक्त शेष चावल नागरिकआपूर्ति निगम के गोदामों में जमा कराया जाए जिससे मिलर आर्थिक एवं मानसिक परेशानी से बच सके।ज्ञापन में कहा गया है कि उक्त आर्थिक समस्याओं के चलते मिलर डिफाल्टर होने की कगार मै है बैंक कि किस्तों ब्याजों की देनदारी में मिलर्स की आर्थिक स्तिथि बड़ी दयनीय हो चुकी है। उक्त समस्याओं का पूर्ण निराकरण नहीं किया गया तो आगामी उपार्जन वर्ष 2024-25 में सतना जिले के मिलर्स द्वारा समितियों में बोरिया जमा करना एवं मिलिंग कार्य कर पाना असंभव है।

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