सीधी के पर्यटन स्थलों को वैश्विक स्तर पर पहचान की दरकार…

० सीधी जिले में पर्यटक स्थलों की भरमार, पर्यटकों की पसंद बना संजय टाईगर रिजर्व में 40 से अधिक विचरण करते हैं बाघ

नवभारत न्यूज

सीधी 16 अक्टूबर। पर्यटक स्थलों की भरमार वाले सीधी जिले को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दरकार लम्बे अर्से से बनी हुई है, जो अभी तथा सार्थक प्रयास के अभाव में पूर्ण नही हो सकी।

यहां बताते चलें कि पर्यटकों की पसंद बना संजय टाईगर रिजर्व में 40 से अधिक बाघ विचरण करते हैं। जिले का प्रमुख पर्यटन स्थल संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र बन चुका है। संजय दुबरी टाईगर रिजर्व में वर्तमान में करीब 40 से अधिक बाघ स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं। इसका प्रवेश द्वार चमरा डोल के पास बडक़ाडोल में है। यहां टाईगर सफारी करने देशी व विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं। एक अक्टूबर से फिर पर्यटकों के लिए संजय टाईगर रिजर्व खुल चुका है। सीधी पर्यटक स्थल के साथ ऐतिहासिक महत्व से भरपूर हैं। विश्व में सफेद शेरों की जनक रही है। संजय दुबरी टाइगर रिजर्व, सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य, बीरबल की जन्मस्थली घोघरा और बाणभट्ट की तपोस्थली चंदरेह सहित एक दर्जन से अधिक पर्यटन स्थल हैं। इन स्थलों को ग्राम पंचायत से मिलकर यांत्रिकी विभाग विकसित कर रहा है। ऐसे में स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है। सीधी जिले का प्रमुख पर्यटन स्थल में संजय दुबरी टाइगर रिजर्व है। जिला मुख्यालय से इसकी दूरी करीब 70 किमी. है। संजय दुबरी अभ्यारण्य में वर्तमान में करीब 40 से अधिक संख्या में बाघ विचरण करते हैं। इसका प्रवेश द्वारा चमराडोल के पास बडकाडोल में है। यहां टाइगर सफारी करने देशी व विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं। सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य प्रोजेक्ट क्रोकोडाइल के अंतर्गत घडिय़ाल संरक्षण व जनसंख्या वृद्धि हेतु स्थापित किया गया। सोन नदी का 161 किमी., 23 किमी. बनास नदी व 26 किमी. गोपद नदी का क्षेत्र मिलाकर कुल 210 किमी क्षेत्र को 1981 में अभ्यारण्य के रूप में घोषित किया था।

बुद्धिमान, हाजिर जवाब, अकबर के नव रत्नों में मशहूर बीरबल का नाता सीधी जिले से है। उनका जन्म सीधी जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी. दूर स्थित घोघरा गांव में वर्ष 1528 में हुआ था। उनके पिता गंगादास व माता का नाम अनाभा देवी था। बीरबल के बचपन का नाम महेश प्रसाद था। जिले के रामपुर नैकिन में चंदरेह ग्राम में 972 ईसवी में निर्मित प्राचीन शैव मंदिर एवं मठ स्थित है। यह मंदिर चेदि शासकों के गुरु प्रबोध शिव जो मत्त मयूर नामक प्रसिद्ध शैव संप्रदाय से संबंधित थे उन्होंने साधना व शैव सिद्धांत के प्रचार हेतु स्थापित किया था। मंदिर से जुड़ी हुई संरचना बालुका पत्थर से निर्मित एक मठ है। रमदहा कुंड कुसमी सोनगढ़ मार्ग के समीप मांच महुआ में घोका नाल नाला में एक अत्यंत रमणीक जल प्रपात है। घोका नाल संरक्षित क्षेत्र के अंदर बसे ग्राम मझिगवां में उद्गम स्थल है। गोपद दर्शन कुसमी के समीप खरसोती के पास गले गोपद नदी का विहंगम दृश्य है। जहां से सिंगरौली जिले के सरई तहसील के ग्रामों का नजारा दिखाई देता है। गोपद नदी सीधी एवं सिंगरौली जिले की विभाजन सीमा है।

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इनका कहना है

जिले में 17 अक्टूबर से एक पेड़ मां के नाम से दो दिवसीय कजरी महोत्सव का प्रमुख उद्देश्य, प्रसिद्ध बीरबल की जन्मस्थली घोघरा को विश्व पर्यटन के रूप में विकसित करने एवं इसे वैश्विक पहचान देने के उद्देश्य से प्रदेश के विभिन्न अंचलों से आ रहे कलाकारों की प्रस्तुति के माध्यम से जो शुरुआत हो रही है। आगे भी सीधी संसदीय क्षेत्र के अन्य पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने प्रयास किये जायेंगे। जिनमें परसिली रिसार्ट, संजय टाइगर रिजर्व, दुबरी अभ्यारण्य, चन्दरेह, माडा की गुफाएं, बगदरा अभ्यारण्य आदि।

डॉ.राजेश मिश्रा, सांसद सीधी

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रमणीक पर्यटन स्थलों पर नजर

संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र में कन्हैयादह परिक्षेत्र मोहन अंतर्गत गरूलडांड में साथ नामक नाला में एक अत्यंत रमणीक जल प्रपात है। यहां पहुंचकर प्रकृति की मनोहारी प्रकृति की अनुभूति होती है। बेटीदह बस्तुआ परिक्षेत्र के जामडोल ग्राम के पास स्थित अत्यंत रमणीक जल की धारा है। यहां पानी की धार को पत्थरों पर अठखेलियां करते हुए देखना व उनके द्वारा चट्टानों को तराशते हुए देखना विश्मयकारी अनुभव है। वहीं ठोंगा मंदिर मझौली तहसील मुख्यालय से पोड़ी रोड पर मझौली से 5 किमी व जिला मुख्यालय से करीब 55 किमी. की दूरी पर ठोंगा पहाड़ी पर चट्टानों की अद्भुत संरचना पर मंदिर का मनोरम नजारा लोगों के मन में स्वतरू एक जिज्ञासा उत्पन्न करता है। यह मंदिर पहाड़ों की पतली खड़ी चट्टान पर स्थित है। गिद्धा पहाड़ मझौली से 12 किमी. दूरी पर स्थित पहाड़ी क्षेत्र है। इस क्षेत्र में किसी समय गिद्धों की विभिन्न प्रजातियां निवास करती थी। इस कारण से इसका नाम गिद्ध पहाड़ पड़ा। यहां अभी भी गिद्ध की अनेक प्रजातियां निवास करती हैं। राजागढ़ी मड़वास बफर क्षेत्र में स्थित है। यहां पर लगभग 200 वर्ष पूर्व बालेन्द्र वंश के राजाओं की राजधानी के अवशेष मिलते हैं। इस गढ़ी के आसपास देखने से विंध्य पर्वत मालाओं की श्रृंखलाएं अत्यंत सुंदर दिखाई देती हैं। संजय टाइगर रिजर्व के भुईमाड़ बफर के अंतर्गत भुइमाड़ से 2 किमी. की दूरी पर स्थित करीब 300 वर्ष प्राचीन गुफा है, जिसमें स्थानीय मान्यताओं के अनुसार दूसरे राजाओं के आक्रमण या चढ़ाई के दौरान शरण लेते थे। जनपद रामपुर नैकिन अंतर्गत ग्राम पंचायत भितरी के पन्ना पहाड़ी स्थित जल प्रपात जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी. की दूरी पर स्थित है। पहाड़ी से गिरता पानी मनोरम नजारा बनाता है।

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