मेक इन इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी यात्रा

नयी दिल्ली (वार्ता) मेक इन इंडिया पहल ने घरेलू उत्पादन में वृद्धि को बढ़ावा देते हुए तकनीकी क्षमताओं को बेहतर बनाते हुए और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के विकास में निरंतर योगदान दिया है।

मेक-इन-इंडिया (एमआईआई) अभियान की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सचिव एस. कृष्णन ने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र पर इस पहल के जबरदस्त प्रभाव पर प्रकाश डाला।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इलेक्ट्रॉनिक्स सबसे प्रभावशाली क्षेत्रों में से एक बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि इस अवधि की शुरुआत में, 2014 -15 में, भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स का कुल उत्पादन 1.9 लाख करोड़ था और आज यह 17.4 प्रतिशत की वार्षिक के साथ 9.52 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जो अर्थव्यवस्था के शेष अन्य क्षेत्रों की तुलना में काफी तेज है। इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में भारत से होने वाला निर्यात भी 2014-15 में लगभग 38,263 करोड़ यानी 5.7 अरब डॉलर से उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 2.41 लाख करोड़ या 22.7 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ लगभग 29.1 अरब डॉलर का हो गया है। यह भी अन्य क्षेत्रों के निर्यात में हुई वृद्धि की तुलना में काफी तेज है।

एमईआईटीवाई सचिव ने कहा कि मेक इन इंडिया की उपलब्धि वास्तव में एक तरह से इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र पर आधारित है और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र का एक बड़ा तत्व मोबाइल फोन रहा है। वर्ष 2014 -15 में भारत में बिकने वाले केवल 26 प्रतिशत मोबाइल फोन ही भारत में निर्मित थे, शेष आयात किए जा रहे थे। आज भारत में बिकने वाले 99.2 प्रतिशत मोबाइल फोन भारत में ही निर्मित हैं।

उन्होंने कहा, “हम भारत में प्रति वर्ष 32.5 से 33 करोड़ मोबाइल फोन का निर्माण कर रहे हैं और भारत में औसतन लगभग एक अरब मोबाइल फोन उपयोग में हैं। हमने घरेलू बाजार को वस्तुतः संतृप्त कर दिया है और यही कारण है कि आप देख सकते हैं कि मोबाइल फोन के निर्यात में पर्याप्त वृद्धि हुई है।” उन्होंने कहा कि वर्ष 2023-24 में मोबाइल फोन का निर्यात लगभग 1.2 लाख करोड़ था और यह निर्यात 2014-15 की तुलना में 77 गुना बढ़ गया है। वर्ष 2014-15 में मोबाइल फोन का निर्यात करीब 1,566 करोड़ रुपये का था जो अब बढ़कर लगभग 1,20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

उन्होंने कहा कि यह वह बिंदु है जहां ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम वास्तव में सफल रहा है और इसका कारण भारत सरकार की ओर से मिलने वाला नीतिगत समर्थन रहा है, विशेष रूप से मोबाइल क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना के रूप में, जो लॉन्च की गई सबसे सफल पीएलआई योजनाओं में से एक रही है।

मोबाइल क्षेत्र से संबंधित पीएलआई योजना के बारे में उन्होंने कहा “ हमने अपने समग्र उत्पादन लक्ष्य को पार कर लिया है और 6 लाख 661 करोड़ रुपये के कुल मूल्य के उत्पादन और 9,100 करोड़ रुपये के कुल मूल्य के निवेश तक पहुंच गए हैं, जो निवेश लक्ष्य से काफी ऊपर है। कुल 1,22,613 रोजगार हासिल हुआ है, जो योजना के मूल लक्ष्य के अनुरूप है। इस प्रकार, यह ‘मेक इन इंडिया’ की बड़ी कहानियों में से एक रही है, और आज इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र देश भर में लगभग 12 लाख को रोजगार दे रहा है।”

श्री कृष्णन ने कहा कि देश में सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग का आधार स्थापित करना ‘मेक इन इंडिया’ का दूसरा बड़ा हिस्सा है, जिसे भारत छह दशकों से अधिक समय से हासिल करने का प्रयास कर रहा है। भारत सेमीकंडक्टर मिशन के शुभारंभ और पांच प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी के साथ देश में सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग का एक वास्तविक आधार स्थापित हो रहा है। मंजूर की गई प्रमुख परियोजनाओं में माइक्रोन की एक परियोजना, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स की दो परियोजनाएं, सीजी पावर की एक परियोजना और कीन्स की एक परियोजना शामिल है।

 

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