नयी दिल्ली, (वार्ता) कैटलिस्ट मैनेजमेंट सर्विसेज (सीएमएस) ने पिरामल फाउंडेशन के साथ मिलकर एक विस्तृत वीडियो ‘नॉलेज ऐसेट’ जारी किया है। यह वीडियो देश में कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) योजना को मजबूत बनाने के लिये जरूरी समझ और रणनीति प्रदान करती है।
उल्लेखनीय है कि कैटलिस्ट मैनेजमेंट सर्विसेज कैटलिस्ट समूह का हिस्सा है। यह टिकाऊ विकास लक्ष्यों से जुड़े सामाजिक उद्यमों और प्रभावशाली पहलों में बदलाव लाने के प्रयास से जुड़ा है। वीडियो ईएसआई स्कीम को मजबूत बनाने के लिये जरूरी समझ और रणनीति प्रदान करती है। इस पहल का उद्देश्य पिरामल फाउंडेशन द्वारा स्थापित कंसोर्टियम के सहयोगी प्रयासों के जरिये, कर्मचारी राज्य बीमा योजना के कार्यान्वयन को मजबूती प्रदान करना है, जिससे देश के औपचारिक कार्यबल इस योजना में मिलने वाली सेवाओं अधिक उपयोग कर सके और उससे मिलने वाले लाभों का लाभ उठा सके।
कैटलिस्ट मैनेजमेंट सर्विसेज़ में प्लेटफ़ॉर्म और पॉलिसी की एसोसिएट निदेशक प्रियंवदा तिवारी ने कहा, “कैटलिस्ट ग्रुप की इकाई अपफ़्रंट वर्कफोर्स और बिजनेस दोनों की भलाई के लिये सिस्टम, क्षमता और बाज़ारों को मज़बूत बनाने का प्रयास करती है, साथ ही उन्हें सभी के लिये उपलब्ध कराने का प्रयास करती है, लेकिन ऐसा एक-दूसरे की कीमत पर नहीं होता है। हम कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ईएसआईएस) और नियोक्ताओं सहित सभी हितधारकों के बीच सहयोग के महत्व पर पर्याप्त ज़ोर नहीं दे सकते हैं ताकि विश्वास का निर्माण हो। इसके साथ ही हमारा प्रयास है कि एक मजबूत ईकोसिस्टम का निर्माण किया जाए, जो यह सुनिश्चित करे कि बीमित व्यक्ति अपने परिवार की भलाई और सेहत में सुधार के लिये योजना में मिलने वाले सामाजिक लाभों का उपयोग कर सके। डिजिटल भारत कोलेबोरेटिव, पिरामल फ़ाउंडेशन का एक हिस्सा है। यह ऑन-ग्राउंड भागीदारों और गांधी फ़ेलो, प्रोग्राम लीडर्स सहित उनकी प्रोग्राम टीमों के साथ काम कर रहा है, ताकि एक तय मानक के साथ आगे बढ़ा जा सके और प्रत्येक हितधारक की क्षमताओं का उपयोग किया जा सके। इसके साथ ही उपयोगकर्ता को इसका अधिक लाभ पहुंचाने के लिये डिजिटल सिस्टम का अधिक उपयोग करने के लिये ईएसआईएस के सुविधाओं का लाभ उठाया जाये। इसके अलावा हम एक मददगार ईकोसिस्टम के निर्माण के लिए सामूहिक प्रयास कर रहे हैं, जो इस योजना में शामिल लोगों की ज़रूरतों को प्रभावी ढंग से पूरा कर सके।”
इस साझेदारी के तहत, 18 महीनों में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसमें 50 से अधिक नियोक्ताओं की मदद से 30,000 से अधिक व्यक्तियों तक पहुंचा गया गया है, साथ ही उन्हें इसका लाभ प्रदान किया गया है। इस साझेदारी में शामिल किए गए भौगोलिक क्षेत्रों में तीन राज्यों के छह औद्योगिक क्लस्टर शामिल हैं। इन क्षेत्रों में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से नोएडा और फरीदाबाद क्लस्टर, कर्नाटक से पीन्या और बोम्मासंद्रा और महाराष्ट्र से नागपुर और पुणे क्लस्टर शामिल हैं।
डिजिटल इंडिया कोलैबोरेटिव (पीरामल फाउंडेशन का भाग) के सीनियर प्रोग्राम डायरेक्टर-ऑपरेशंस और स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप सागर शुक्ला ने कहा, “पीरामल फाउंडेशन और सीएमएस निरंतर साझेदारी और जानकारी को साझा करते हुये ईएसआई योजना के कार्यान्वयन में बड़े बदलाव लाने के लिये प्रतिबद्ध हैं। ये दोनों संगठन भारत के कार्यबल को लाभ पहुंचाने के लिये नवाचार और क्षमता निर्माण को लेकर लगातार प्रयसा कर रहे हैं। ऐसे में यह नयी लॉन्च की गये नॉलेज ऐसेट सिर्फ शुरुआत है, और आगे भी बहुत कुछ होने वाला है।”
सीएमएस और पिरामल फाउंडेशन के बीच सहयोग का उद्देश्य पॉलिसी और इसके व्यावहारिक उपयोग के बीच की खाई को पाटना है। इसके तहत दोनों का प्रयास है कि सिस्टम की क्षमताओं को बढ़ाने के लिये एक सिद्ध मॉडल को विकसित किया जाये और इसके उपभोक्ताओं के लिये ईएसआईएस की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिये जरूरी समझ प्रदान की जाये।
गौरतलब है कि ईएसआईएस भारत में 21,000 रुपये प्रति माह से कम कमाई करने वाले श्रमिकों के लिये एक व्यापक सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम है। यह योजना लगभग 13 करोड़ संभावित लाभार्थियों को कवर करती है। यह बीमित व्यक्तियों और उनके आश्रितों के लिये 14 लाख रुपये तक की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराता है, साथ ही बीमारी के दौरान 50 प्रतिशत वेतन प्रदान करने जैसे नकद लाभ भी प्रदान करती है। इससे मिलने वाले लाभों के बावजूद, केवल 30 प्रतिशत पात्र लाभार्थी ही मौजूदा समय में इन सेवाओं का उपयोग करते हैं।