महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप भारत को वैश्विक पटल पर स्थापित करेंगे: सिंह

नयी दिल्ली 06 सितंबर (वार्ता) केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि आने वाले वर्षों में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप भारत को वैश्विक पटल पर स्थापित करेंगे।

डॉ. सिंह ने आज आभासी माध्यम से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की पहल (डीएसटी-निधि) के आठ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में आयोजित समारोह में नई डीएसटी-निधि वेबसाइट के साथ-साथ देश के विभिन्न राज्यों में आठ नये निधि आई-टीबीआई उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने 2016 में निधि की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा, “निधि पहल भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर पहचानी गई एक महत्वपूर्ण आवश्यकता के उत्तर में शुरू हुई थी, ताकि हमारे शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच की खाई को पाटा जा सके। चूंकि संस्थान विश्व स्तरीय शोध कर रहे थे, इसलिए इन विचारों को बाजार के लिए तैयार उत्पादों में बदलने की आवश्यकता थी।”

उन्होंने कहा कि एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और नई ऊर्जा के साथ तकनीकी प्रगति में आज के भारत को भविष्य के भारत में बदलने की नवोनमेषी क्षमता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का निधि कार्यक्रम स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने में और बड़ी संख्या में प्रौद्योगिकी स्टार्टअप को पोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा महिला उद्यमियों द्वारा संचालित है।

डॉ. सिंह ने कहा कि निधि एंटरप्रेन्योर-इन-रेजिडेंस (ईआईआर) और निधि प्रयास कार्यक्रमों जैसी पहलों के माध्यम यह कार्यक्रम एक व्यापक चरण-वार सहायता संरचना प्रदान करता है, जो शैक्षणिक वातावरण की अनूठी गतिशीलता के अनुरूप है। उन्होंने बताया कि बताया कि इन उपक्रमों से अनेक नौकरियां सृजित हुई हैं और नवाचार की समृद्ध संस्कृति को बढ़ावा मिला है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में बौद्धिक सम्पदा का सृजन हुआ है।

डॉ. सिंह ने कहा,“निधि के आठ वर्ष पूरे होने का जश्न महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने और वित्तीय समावेशन का विस्तार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।” वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनने के लिए भारत के रोडमैप पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि इस यात्रा में स्टार्टअप्स की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने कहा,“प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय स्टार्टअप्स के लिए वैश्विक नवाचार की दौड़ में अग्रणी रहने का विजन रखा है, जिसमें महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स सभी क्षेत्रों में सबसे आगे होंगे।”

डॉ. सिंह ने कहा कि निधि यह सुनिश्चित करती है कि बौद्धिक गतिविधियां प्रयोगशालाओं तक ही सीमित न रहें, बल्कि बाजार तक पहुंचें और प्रभावशाली बदलाव लाएं। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने सभी नवप्रवर्तकों को एक साथ मिलकर काम करने और 2047 तक विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए ठोस योगदान देने का निर्देश दिया।

डॉ. सिंह ने आज जिन आठ नये निधि आई-टीबीआई का उद्घाटन किया, उनमें राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय अजमेर, गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय लुधियाना, पंजाब, बीएलडीई बीजापुर, कर्नाटक, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश, प्रणवीर सिंह प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर, उत्तर प्रदेश, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) बिलासपुर,छत्तीसगढञ. जीएसएसएस महिला इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान मैसूर, कर्नाटक और पेट्रोलियम और ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (यूपीईएस) देहरादून,) शामिल हैं।

इस मौके पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव प्रोफ़ेसर अभय करंदीकर और आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी सहित काफी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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