यूट्यूब चैनल बंद करने की जमानत की शर्त वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

यूट्यूब चैनल बंद करने की जमानत की शर्त वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

नयी दिल्ली, 06 सितंबर (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने कुछ महिला पुलिस कर्मियों के खिलाफ कथित तौर पर एक ‘अपमानजनक टिप्पणी’ प्रसारित करने के आरोपी मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार के मुखर आलोचक रहे वरिष्ठ पत्रकार फेलिक्स जेराल्ड की जमानत शर्त के तौर पर ‘यूट्यूब चैनल’ बंद करने का निर्देश देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के एक आदेश पर रोक शुक्रवार को रोक लगा दी।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने यह स्पष्ट करते हुए कि याचिकाकर्ता को अन्य सभी शर्तों का पालन करना चाहिए, उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाई।

पीठ ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया और अगले आदेश तक यूट्यूब चैनल बंद करने की शर्त पर रोक लगा दी।

शीर्ष अदालत ने हालांकि, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन से पूछा कि उन्हें (याचिकाकर्ता) सभी महिला पुलिस अधिकारियों और न्यायपालिका पर “अपमानजनक” आरोप क्यों लगाने पड़े।

श्री शंकरनारायणन ने इस बात पर सहमति जताई कि उन्हें चैनल पर उन आरोपों को प्रसारित करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी।

आरोपी जेराल्ड को तमिलनाडु पुलिस ने 10 मई को नयी दिल्ली से ‘सवुक्कू’ शंकर के साथ एक साक्षात्कार प्रसारित करने के लिए गिरफ्तार किया था, जिसमें एक व्हिसलब्लोअर ने महिला पुलिस कर्मियों के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की थी।

उच्च न्यायालय ने जेराल्ड यूट्यूब चैनल ‘रेड पिक्स 24×7’ बंद करने का निर्देश दिया था और ट्रायल कोर्ट के समक्ष हलफनामा दाखिल करने को कहा था कि वह भविष्य में इस तरह की गतिविधियों में शामिल नहीं होगा।

पत्रकार गेराल्ड पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 294(बी) (अश्लील कृत्य और गाने), 509 (किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द, इशारा या कृत्य) और 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम की धारा चार और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

गेराल्ड और शंकर मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं।

Next Post

अपराजिता विधेयक’ राज्य की विफलता पर पर्दा डालने का प्रयास: मेघवाल

Fri Sep 6 , 2024
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email नयी दिल्ली, 06 सितंबर (वार्ता) केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार द्वारा पारित कराये गये अपराजिता विधेयक को राज्य सरकार की कमियों और कमजोरियों पर “पर्दा डालने” की कार्रवाई […]

You May Like

मनोरंजन