85 करोड़ के लक्ष्य के आगे 52 करोड़ में सिमट गया खनिज विभाग

गत वर्ष भी नही हुई थी लक्ष्य के पूर्ति, इस बार बढ़ा कर दिया गया था लक्ष्य, जेपी सीमेंट से नही मिला पैसा

नवभारत न्यूज

रीवा, 31 मार्च, खनिज विभाग को राजस्व वसूली का 85 करोड़ लक्ष्य दिया गया था. साल भर में 52 करोड़ की वसूली में विभाग सिमट गया. गौड़ खनिज एवं मुख्य खनिज से कितना पैसा आने की उम्मीद थी उतना नही हुआ. 33 करोड़ वसूली लक्ष्य से विभाग पीछे रह गया. उम्मीद थी कि जेपी सीमेंट रायल्टी का 13 करोड़ जमा करेगा तो लक्ष्य के करीब पहुंच जायेगें पर ऐसा नही हुआ, केवल 3 करोड़ ही मिल पाये.

गौरतलब है कि हर विभाग की तरह खनिज विभाग को भी राजस्व वसूली का लक्ष्य दिया जाता है. गत वर्ष 70 करोड़ का लक्ष्य दिया गया था जिसमें 49 करोड़ की वसूली हुई थी और इस बार बढ़ाकर 85 करोड़ का लक्ष्य दे दिया गया. जिसमें 52 करोड़ ही वसूली हो पाई. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लक्ष्य बहुत ज्यादा दिया गया था जबकि इतना पैसा यहां से निकलना मुश्किल है, फिर भी लक्ष्य पाने की कोशिश की गई. विभाग को स्टोन क्रेसर, शासकीय निर्माण कार्य, सीमेंट फैक्ट्री से रायल्टी के रूप में राशि मिलती है. इसके अलावा अवैध उत्खनन एवं भंडारण पर लगाये जुर्माना से राशि प्राप्त होती है. तमाम प्रयास के बावजूद 52 करोड़ तक वसूली हो पाई. खनिज की ज्यादा उपयोगिता न होने के कारण भारी भरकम राजस्व लक्ष्य पूरा नही हुआ. 33 करोड़ कम वसूली हुई है, अगर सख्ती से कार्यवाही के साथ प्रयास किया जाता तो 70 करोड़ तक वसूली लक्ष्य पहुंच सकता था. गत वर्ष से तीन करोड़ ज्यादा की वसूली इस बार हो पाई है. सबसे बड़ा राजस्व जेपी सीमेंट से मिलता है पर इस बार जेपी सीमेंट ने रायल्टी का पैसा नही दिया. विभाग इस पर दबाव नही बना पाया.

इस संबंध में खनिज निरीक्षक वीर सिंह का कहना है कि निर्धारित लक्ष्य प्राप्ति के लिये पूरी कोशिश की गई. अवैध उत्खनन और परिवहन पर भी कार्यवाही की गई. गत वर्ष से ज्यादा राजस्व आया है.

अवैध उत्खनन एवं परिवहन भी बना कारण

जिले के अंदर अवैध उत्खनन एवं परिवहन धड़ल्ले के साथ होता है जिस पर विभाग अंकुश नही लगा पाया. सबसे बड़ा कारण है कि अवैध परिवहन से रायल्टी का नुकसान हुआ है. दरअसल स्टोन क्रेसर से निकलने वाली गिट्टी और पत्थर का परिवहन बगैर पिट पास के होता है और इसका नुकसान विभाग के राजस्व का होता है. अगर अवैध परिवहन पर अंकुश लग जाता तो निश्चित रूप से राजस्व बढ़ता. इसके साथ ही कार्यवाही कम हुई है, जिसके कारण जुर्माने से ज्यादा वसूली नही आई. एक से डेढ़ करोड़ की राशि जुर्माने से प्राप्त हुई है, जबकि उम्मीद थी कि 2 से 3 करोड़ जुर्माने से राशि प्राप्त हो जायेगी. जेपी सीमेंट से 13 करोड़ मिलने थे पर यहां से केवल 3 करोड़ ही मिले. जिसके कारण राजस्व लक्ष्य बहुत पीछे रह गया.

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