इंदौर मनमाड के बीच बनेगी 309 किलोमीटर की नयी रेललाइन

इंदौर मनमाड के बीच बनेगी 309 किलोमीटर की नयी रेललाइन

नयी दिल्ली 02 सितंबर (वार्ता) सरकार ने दिल्ली एवं मुंबई के बीच वैकल्पिक मार्ग के रूप में मध्य प्रदेश के औद्योगिक केन्द्र इंदौर से महाराष्ट्र के मनमाड के बीच 309 किलोमीटर की एक नयी रेलवे लाइन बिछाने की 18 हजार करोड़ रुपए से अधिक की परियोजना को आज मंजूरी दे दी जिससे मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ अंचल के आदिवासी क्षेत्रों को भी विकास की मुख्य धारा से जुड़ने का अवसर मिलेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की आज यहां हुई बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी।

रेल, सूचना प्रसारण एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सीसीईए की बैठक में रेल मंत्रालय के तहत 18,036 करोड़ रुपये (लगभग) की कुल लागत वाली 309 किलोमीटर नई रेलवे लाइन परियोजना को मंजूरी गयी है।

उन्होंने बताया कि यह यह परियोजना दो राज्यों – महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के 6 जिलों को कवर करेगी। विंध्य पर्वत श्रृंखला और वन्य क्षेत्र से होकर गुजरने वाली लाइन पर करीब 21 किलोमीटर लंबाई की सुरंगें और सात बड़े पुल होंगे जिनमें नर्मदा पर बड़ा पुल शामिल है। इस परियोजना के साथ 30 नए स्टेशन बनाए जाएंगे, जिससे आदिवासी बहुल आकांक्षी जिले बड़वानी को बेहतर सम्पर्क मिलेगा। नई रेलवे लाइन परियोजना से लगभग एक गांवों और लगभग 30 लाख आबादी को सीधी सम्पर्क सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि पुलों एवं सुरंगों सहित पूरी परियोजना की डिजायन दोहरी लाइन के हिसाब से बनायी गयी है। पर अभी सिंगल लाइन भी बिछाई जाएगी, बाद में मांग बढ़ने पर दोहरीकृत किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस रेल लाइन को बनने में सात से आठ वर्ष का समय लगेगा।

रेल मंत्री ने कहा कि इंदौर और मनमाड के बीच प्रस्तावित नई लाइन मध्यप्रदेश के इंदौर, देवास, पीथमपुरा के औद्योगिक क्षेत्र को मुंबई के जवाहर लाल नेहरू बंदरगाह से सीधा एवं लघुत्तम सम्पर्क प्रदान करेगी। इससे मध्य प्रदेश के औद्योगिक विकास को गति मिलेगी और यहां के उत्पादों का निर्यात आसान होगा।

श्री वैष्णव ने कहा कि इस परियोजना से देश के पश्चिमी /दक्षिण-पश्चिमी हिस्से को मध्य भारत से जोड़ने वाला छोटा रास्ता उपलब्ध होगा जिससे क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा देगी। इससे श्री ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग, श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सहित उज्जैन-इंदौर क्षेत्र के विभिन्न पर्यटन/धार्मिक स्थलों पर पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। परियोजना से पीथमपुर ऑटो क्लस्टर (90 बड़ी इकाइयां और 700 छोटे और मध्यम उद्योग) को जेएनपीटी बंदरगाह और अन्य राज्य बंदरगाहों से सीधा सम्पर्क मिलेगा। परियोजना मध्य प्रदेश के बाजरा उत्पादक जिलों और महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक जिलों को भी सीधा सम्पर्क प्रदान करेगी, जिससे देश के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में इसके वितरण में सुविधा होगी। कृषि उत्पादों, उर्वरक, कंटेनर, लौह अयस्क, इस्पात, सीमेंट, पीओएल आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए यह एक आवश्यक मार्ग है। क्षमता वृद्धि कार्य के परिणामस्वरूप लगभग 2.6 करोड़ टन प्रति वर्ष की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी।

उन्होंने कहा कि ग्वालियर से इंदौर के बीच रेल लाइन की कनेक्टिविटी मिलने से दिल्ली मुंबई रेलमार्ग के लिए वैकल्पिक कनेक्टिविटी मिलेगी। ग्वालियर भिंड इटावा लाइन से कानपुर एवं लखनऊ के लिए भी वैकल्पिक मार्ग मिल सकेगा तथा दिल्ली, आगरा, ग्वालियर, झांसी, भोपाल इटारसी मनमाड रूट पर गाड़ियों का दबाव भी कम होगा।

उन्होंने कहा कि यह परियोजना प्रधानमंत्री श्री मोदी की नए भारत की कल्पना के अनुरूप है, जो क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से लोगों को आत्मनिर्भर बनाएगी, जिससे उनके लिए रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे। यह परियोजना मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम है, जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुआ है और लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध सम्पर्क प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि रेलवे पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का साधन है, जो जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने, तेल आयात (18 करोड़ लीटर) को कम करने और कार्बनडाइक्साइड उत्सर्जन (138 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद करेगा जो 5.5 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।

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