पूर्व सीएमडी के पॉच रत्नों ने जमकर किया भ्रष्टाचार, सीबीआई ने कार्रवाई कर खोल दी पोल
सिंगरौली : सीआईएल की कमाऊ कंपनी एनसीएल सिंगरौली में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। इसे एनसीएल के अधिकारी अब नकार नही सकते। पिछले पॉच वर्षों के दौरान कोयला उत्पादन सहित अनेक क्षेत्रों में उम्दा कार्य कर अवॉर्ड अर्जित करने वाली कंपनी की उपलब्धियों पर दागी अफसरों ने कालिख पोत कर दागदार बना दिया है और अब चर्चाएं हैं कि पूर्व सीएमडी के पॉच रत्नों ने एनसीएल को जमकर लूटा है। हालांकि इसमें से एक महाप्रबंधक को भी कोपभाजन के शिकार हुयें हैं। उनका कोलमंत्रालय ने तबादला कर भ्रष्टअधिकारियों पर कार्रवाई का संके त दे दिया है।
पिछले दिनों सीबीआई नई दिल्ली के द्वारा एनसीएल सिंगरौली में अब तक की गई सबसे बड़ी छापामार कार्रवाई के बाद पिछले सालों में पड़े छापे अब फिर चर्चा में है। वही एक दशक के दौरान हुई कार्रवाई भी अफसरों में खौफ पैदा करने में नाकाम रहींं। पूर्व में हुई कार्रवाई के मामले सीबीआई कोर्ट में विचाराधिन हैं।गौरतलब है कि पिछले दिनों 17 अगस्त से शुरू सीबीआई दिल्ली टीम की कार्रवाई ने एक ऐसे एक समूह को उजागर कर सब को चौका दी है। इस कार्रवाई में सीबीआई के अधिकारी खुद शामिल रहे। ऐसा पहली मर्तबा हुआ है कि सीबीआई को खुद स्वीकार करना पड़ा कि पहले के मामलों में मन मुताबिक रिपोर्ट लगाने के लिए कोयला क्षेत्र के अधिकारी बिचौलिए के माध्यम से सीबीआई तक पैसा पहुंचाने का काम करते थे।
तत्कालीन मामले में 3 करोड़ 85 लाख कैश बरामद होने और पांच लोगों की गिरफ्तारी के उपरांत एनसीएल के कई पूर्व ओहदेदार टीम के अधिकारी सीबीआई के राडार पर आ गए हैं। इसमें पूर्व सीएमडी भोला सिंह के सप्लाई सलाहकार एवं अन्य अधिकारी निशाने पर हैं। इसके पहले के अधिकतर मामले सिविल एवं विद्युत व यांत्रिकी विभाग ई एंड एम से जुड़े रहे। किन्तु पहली बार मटेरियल मैनेजमेंट एम एंड एम विभाग के कारनामें सामने आए हैं। एनसीएल का यही वह विभाग है। जहां विदेशी व देशी मशीनों से लेकर उनके स्पेयर पार्ट्स की व्यवस्था देखता है। इसका वार्षिक खर्च कई सौ करोड़ रुपये होना बताया जा रहा है।
एनसीएल में सीबीआई की कार्रवाई पर एक नजर
सीबीआई ने पिछले एक दशक के दौरान आठ कार्रवाईयां की हैं। यह 9वीं कार्रवाई है। जो सबको अचम्भित कर दिया है। सीबीआई के द्वारा अब तक की गई कार्रवाई पर नजर दौड़ाएं तो जिसमें वर्ष 2011 माह जनवरी में एनसीएल के विद्युत एवं यांत्रिकी विभाग में पदस्थ इंजीनियर बंशराज कुशवाहा को सीबीआई लखनऊ टीम ने ठेकेदार से रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ दबोचा गया था। इस मामले में इंजीनियर पर कार्रवाई भी हुई थी। वर्ष 2012 सितम्बर महीने में एनसीएल के जलसंस्थान में लखनऊ सीबीआई टीम ने अधिनस्थ इंजीनियर के एन सामंता को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। वही 2013 में एनसीएल के खड़िया सहित अन्य परियोजनाओं में रियायती डीजल का कॉमर्शियल उपयोग किए जाने की शिकायत पर सीबीआई की टीम ने छापा मारकर कई लोगों पर कार्रवाई की गई थी। साथ ही वर्ष 2018 के सितम्बर महीने में एनसीएल की जयंत परियोजना में वरिष्ठ प्रबंधक शैलेंद्र पसारी को रिश्वत के मामले में दबोचा था।
वही वर्ष 2021 मार्च महीने में अमलोरी परियोजना के कोलयार्ड में सीबीआई का रेड पड़ा था। इसके अतिरिक्त वर्ष 2022 के अप्रैल महीने में एनसीएल निगाही में स्थित कोलमाइंस सीएमपीएफओ में सीबीआई ने कार्रवाई कर निरीक्षक राजेश रंजन रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। उसी वर्ष सितम्बर महीने में एनसीएल के नेहरू शताब्दी चिकित्सालय में सीबीआई ने 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते सिविल मैनेजर आर मीणा को रंगे हाथों पकड़ा था। वर्ष 2023 के अक्टूबर महीने के प्रथम सप्ताह में एनसीएल के ब्लॉक-बी परियोजना में सीबीआई महाप्रबंधक सईद गोरी को 13 लाख रुपये नकद के साथ गिरफ्तार कर कई करोड़ के प्रापर्टी संबंधित दस्तावेज भी बरामद हुये थे। सीबीआई की यह कार्रवाई एनसीएल कर्मियों के गले से नही उतरी थी और बीच-बीच में चर्चाएं भी की जा रही थी कि पिछले दिनों 17 अगस्त की कार्रवाई में सबकी ऑखे खोल दी है।