साइबर अपराधी इंदौरियों को यूं बना रहे ठगी का शिकार

53 शिकायतों में से 16 यूपीआई फ्रॉड की
ओटीपी मांगा न एप डाउनलोड की, फिर भी बैलेंस गायब

इंदौर:इन दिनों इंटरनेट के नम्बरों का प्रयोग कर इंदौरियों को ठगी का शिकार बनाया जा रहा हैं. इंदौर में पिछले एक माह में 53 साइबर ठगी की शिकायतें मिली हैं, जिसमें से 16 यूपीआई फ्रॉड की है. इन शिकायतों में ठगी का शिकार हुए लोगों ने ना तो पासवर्ड शेयर किया, ना ही इनसे ओटीपी मांगा गया, इतना ही नहीं इन्होंने अपने मोबाइल पर कोई ऐप्स भी डाउन लोड नहीं किया. फिर इनके बैंक खातों से लाखों रुपए की रकम ठगों ने निकाल ली. ठगाए गए लोग जब अपनी शिकायत लेकर बैंक पहुंचे तो बैंक के अधिकारियों ने उन्हे साइबर पुलिस की शरण में जाने का बोला.

इंदौर में साइबर ठगी के मामले दिनों दिन बढ़ते ही जा रहे है. पिछले दिनों राऊ थाना क्षेत्र में रहने वाले एक दंपत्ति के साथ अनोखी ठगी का मामला प्रकाश में आई. जिसे सुनते ही पुलिस के अधिकारी भी चौंक गए. राऊ में रहने वाले एक दंपति के चार खातों से एक साथ ठग ने एक ही समय में कई ट्रांजक्शन कर हजारों रुपए ठग कर वारदात को अंजाम दिया. मामले में पीड़ित ने बताया कि हमसे न तो किसी ने पासवर्ड मांगा और न ही हमने कोई ओटीपी शेयर किया और न ही हमने किसी भी प्रकार का कोई ऐप डाउनलोड किया, बावजूद इसके हमारे बैंक खातों से ठगों ने रकम निकाल ली.

जब हमें इसकी जानकारी लगी तो हम सीधे बैंक पहुंचे. मगर बैंक के अधिकारियों ने हमें साइबर हेल्प डेस्क की शरण में जाने का बोल दिया. पिछले दिनों एक फार्मा कंपनी के कर्मचारी ने जोन-1 की साइबर हेल्प डेस्क पर पहुंच कर बताया कि उन्हें एचडीएफसी कस्टमर केयर से आए फोन पर कहा गया कि आपकी पत्नी मोमिना खातुन के नाम से खरीदी की गई. पीड़ित ने बताया कि मेरी पत्नी का नाम मोमिना खातुन नहीं है, तो फोन पर बताया गया कि ट्रांजेक्शन रोकने के लिए बैंक में संपर्क कीजिए. जब उन्होंने बैंक से संपर्क किया तो उन्हें पता चला कि उनके खाते से 16 हजार रुपए कट गए है. इसी तरह एक अन्य मामले पिछले दिनों शहर के जानेमाने डॉक्टर अतुल बंडी के साथ भी हो चुका है. जिसमें उनके खाते से 2 लाख 90 हजार रुपए निकाल लिए गए थे.

तीन रीजन से हो रही धोखाधड़ी
एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा ने बताया कि, साइबर ठगी की वारदातों 53 शिकायतें प्राप्त हुई है. सभी शिकायतों को एनसीआर पोर्टल पर रजिस्ट्रर करवाकर 22 लाख से अधिक की राशि को तत्काल फ्रीज करवाया, वहीं 3 लाख से ज्यादा की राशि आवेदकों को वापस दिलवाई. 8 मामलों में एफआईआर करवाई, जबकि एक मामले में आरोपी को गिरफ्तार किया. हमारे शहर में अभी जो पैटर्न देखने में आ रहे हैं, वह तीन रीजन से संचालित हो रहा हैं. इनमें ज्यादातर मध्यप्रदेश के बाहर के लोग होते है.

पहला फ्रॉस्टर्स का एरिया बेसिकली इस्टर्न हैं जैसे बिहार, झारखण्ड, वेस्ट बंगाल, असम, उड़ीसा. जबकि दूसरा वेस्टर्न इलाका राजस्थान का मेवात, हरियाणा के उत्तर प्रदेश से लगा हुआ नू, वहीं तीसरा इलाका साउथ का आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र वहां से भी फ्रॉस्टर्स घटना को अंजाम दे रहे है. ये चुनौती का विषय है. लेकिन जिन शिकायतों में गोल्डन अवर्स यानि कि घटना के दो से तीन घंटे के अंदर वादी ने घटना की कम्प्लेन रजिस्टर करवा दी है तो लगभग 90 प्रतिशत मामलों में हम पैसे फ्रीज करवाकर रिटर्न दिलवा देते है. अगर समय इससे ज्यादा होता है तो पैसा वापस नहीं होता है. इस तरह से साइबर जोन-1 ने रिमार्केबल काम किया है.

लोन ऐप और डिजिटल अरेस्ट चुनौती
श्री शर्मा ने बताया कि हम लोग लगातार इस पर नजर रख रहे हैं. साथ ही साथ जो भी आर्गेनाइजेशन सिस्टम चलता है जिस तरह से नया ट्रेण्ड देखने को मिल रहा है, उसमें लोन एप्स का बहुत यूज हो रहा है, जो चिट फण्ड की तरह एक आवेदक से पैसा लेकर दूसरे विक्टिम के खाते में डाला जाता है. लोन के रुप में उसे दिया जाता है, फिर उससे पैसा वसूल करके किसी तीसरे खाते में जाता है. इस तरह के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है, जो हमारे लिए चुनौती है. वहीं दूसरा सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण विषय सेक्सॉटर्न और डिजिटल अरेस्ट का भी है

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