अग्निवीर : व्यापक समीक्षा हो

स्वाधीनता दिवस के दो दिन बाद हुए सेना के एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि अग्नि वीर योजना को लेकर युवाओं में उत्साह है. उन्होंने कहा कि अग्नि वीर योजना में भर्ती पहला बैच जल्दी ही निवृत होकर बाहर आएगा. केंद्रीय रक्षा मंत्री का दावा है कि इन सभी अग्नि वीरों को नौकरियां मिल जाएंगी. इसमें कोई शक नहीं कि अग्नि वीर योजना सेना के विशेषज्ञों के व्यापक विचार विमर्श के बाद लाई गई थी. यह भी सही है कि सेना की औसत उम्र कम करने की योजना को लेकर सेना में लंबे समय से विचार विमर्श चल रहा था. फिर भी इस योजना को लेकर जितनी भी शंका – कुशंकाएं हैं, उनका समाधान होना जरूरी है.बहरहाल,कुछ राज्य सरकारों के आश्वासन के बावजूद सेना में अल्पकालिक सेवा के लिए दो वर्ष पूर्व लायी गई अग्निपथ योजना लगातार विपक्षी दलों के निशाने पर हैं.समय-समय पर सेवानिवृत्त रक्षा अधिकारियों ने भी सशस्त्र बलों में अल्पकालिक भर्ती प्रक्रिया की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने इस योजना के विरोधाभासी मुद्दों को चिन्हित किया है. सवाल इस बात को लेकर उठाये जाते रहे हैं कि कुल अग्निवीरों के पच्चीस प्रतिशत को भी स्थायी कैडर में शामिल किया जाएगा. जबकि देश में प्रचुर संख्या में जनशक्ति उपलब्ध है.हाल ही में अग्निवीरों के कथित तौर पर आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने की भी चिंताजनक घटनाएं सामने आई हैं. ऐसे ही सेवा मुक्त होने के बाद रंगरूटों के पथ से भटकाव की आशंकाएं बनी रह सकती हैं.कुछ दिग्गजों ने तो यहां तक कहा है कि सेना की पूर्व निर्धारित भर्ती प्रणाली के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए.

सैन्य वर्ग के भीतर असहमति के अलावा, अग्निपथ योजना राजनीतिक क्षेत्र में भी खासा विवाद का विषय है.पिछले दिनों कारगिल विजय दिवस पर अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने न केवल इस योजना का जोरदार ढंग से बचाव किया, बल्कि विपक्षी दलों पर भी भर्ती प्रक्रिया पर राजनीति करने का आरोप लगाया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि अग्निपथ का उद्देश्य सेनाओं को युवा व फिट बनाना है.उन्होंने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया कि यह पहल पेंशन के पैसे बचाने के लिये की गई थी.कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस योजना को लगातार निशाने पर लेते रहे हैं.कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों ने इस योजना को रद्द करने की मांग की है. इतना ही नहीं, सत्तारूढ़ राजग गठबंधन में शामिल सहयोगी दल जनता दल युनाइटेड ने भी इस योजना की व्यापक समीक्षा की मांग सरकार से की है.निस्संदेह, सरकार अग्निपथ योजना को लेकर उठ रही आवाजों को यूं ही नजरअंदाज नहीं कर सकती.आशंका जतायी जा रही है कि सेनाओं से जुड़े मुद्दों पर आम सहमति की कमी सशस्त्र बलों की युद्ध की तैयारियों को प्रभावित कर सकती है. कई भाजपा शासित राज्यों ने पुलिस जैसी वर्दीधारी सेवाओं में अग्नि वीरों के लिये आरक्षण या प्राथमिकता की घोषणा की है, लेकिन ये कदम विरोधियों को चुप कराने के लिये पर्याप्त नहीं हो सकता है. केंद्र सरकार को इस योजना को लेकर मिल रही प्रतिक्रिया को गंभीरता से लेना चाहिए. साथ ही योजना से जुड़ी विसंगतियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए. निस्संदेह, इस मुद्दे पर अडिय़ल रवैये की प्रतिक्रिया भविष्य में भी हो सकती है.जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा लाये गए तीन कृषि कानूनों के लागू होने के बाद विरोध प्रदर्शन सालभर चले थे.सरकार को गहनता से इस मुद्दे पर मंथन करना चाहिए.यह निर्विवाद सत्य है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सैनिकों के मनोबल को लेकर कोई प्रयोग नहीं किये जा सकते.देश के सत्ताधीशों को राजनीतिक बड़बोलेपन से परहेज करना चाहिए. कुल मिलाकर इस योजना की समीक्षा की जानी चाहिए.

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