महाकाल लोक की तर्ज पर बनेगा शनिलोक, सप्त ऋषियों में पटिया वाले की मूर्ति भी, भगवान श्रीराम की विशालकाय प्रतिमा हो रही तैयार

ग्वालियर। मुरैना की सरहद पर ऐंती पर्वत पर शनिचरा धाम में जल्द ही महाकाल लोक की तर्ज शनिलोक बनाने की तैयारी है। वैसे तो यह एक साल पूर्व ही तय हो गया था, सप्त ऋषियों की मूर्ति बनाने का ऑर्डर भी मूर्तिकार को मिला था लेकिन अब शनिलोक में सप्त ऋषियों के अलावा भगवान श्रीराम की विशालकाय प्रतिमा के अलावा 18 मूर्तियां भी लगाई जायेंगी। मुरैना के ऐंती पर्वत पर शनिश्चरा मंदिर ट्रस्ट की तरफ से सप्त ऋषियों की प्रतिमायेंब नाने का ऑर्डर मिला हुआ है। इसमें प्रत्येक ऋषि की मूर्ति लगभग 7 फीट ऊंचाई की होगी।
इन मूर्तियों में एक मूर्ति भगवान श्रीराम की विशालकाय तैयार करवाई जा रही है। जो 27 फीट लम्बी 8 फीट चौड़ी और 4 फीट मोटी चट्टान से बन रही है। इसके अलावा मंदिर पर एक भव्य द्वार तैयार किया जायेगा। वहीं, श्रद्धालुओं के लिये बैठने की व्यवस्था और होटल भी तैयार किये जायेंगे। यह शनि लोक देखने में बाबा महाकाल लोक की तरह दिखाई देगा, जो कि लाइटिंग और खूबसूरती ने भव्य होगा।
सप्त ऋषियों की मूर्तियां में पटियावाले की मूर्ति भी लगेगी
इसका वजन जिनका 2 टन रहेगा और प्रत्येक मूर्ति की लागत लगभग 3 लाख रूपये होगी। यह सभी सप्तऋषि की प्रतिमायें अलग-अलग मुद्राओं मे तैयार की गयी है। जो एक दूसरे से अलग दिखाई देगी। इनमें ऋषियों को तपस्या करते हुए, आर्शीवाद देते हुए, कमण्डल लिये, माला जपते हुए, ध्यान की मुद्रा में बनाई गयी है। अभी तक 8 मूर्तियां बनकर तैयार हो चुकी है। इन मूर्तियों में एक मूर्ति पटिया वाले बाबा की भी शामिल होगी।
यह विश्व की इकलौती शनिदेव की प्रतिमा
गौरतलब है कि घोर तपस्या कर शक्तियों का फल शनि देव ने इसी पर्वत पर प्राप्त किया है। शनि पर्वत पर शनि भगवान की प्रतिमा स्थापना सम्राट विक्रमादित्य ने कराई थी। भगवान शनि देव की प्रतिमा के सामने ही हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित कराई गई थी। यह दोनों ही प्रतिमाएं इकलौती और दुर्लभ है। इस मंदिर का जीर्णाद्वार विक्रम संवत 1806 में दौलत राव सिंधिया ने करवाया था। वर्तमान में ये मंदिर मध्य प्रदेश सरकार की संपत्ति होकर औकाफ के अधीन है। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष जिला कलेक्टर हैं।
15 महिला पुरुष कर रहे मूर्तियां तैयार
मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा ने बताया कि मूर्तियों को तैयार करते हुए उन्हें करीब 1 साल हो गया है और अभी इसमें करीब 3 महीने और लगेंगे तब जाकर के सभी मूर्तियां तैयार हो पाएंगी। साल भर पहले हमें प्रोजेक्ट और ड्राइंग दी गई थी जिसके आधार पर हम यह मूर्तियां बना रहे हैं। इन मूर्तियों को बनाने के लिए 15 लोगों की टीम है, जिसमें से चार महिलाएं हैं यह सभी लोग मिलकर इन मूर्तियों को हर दिन तैयार कर रहे हैं। मूर्ति को बनाने की शुरुआत एक चट्टान पर ड्राइंग द्वारा की जाती है फिर उसे पर कट लगाए जाते हैं। इसके बाद मूर्तिकार छैनी और हथौड़े से छाटते हैं। एक मूर्ति को तैयार करने में उन्हें तीन से साढ़े तीन महीने लगते हैं, जिसमें कटिंग से लेकर फिनिशिंग का काम किया जाता है।

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