बागली:बीते मंगलवार को द्वितीय सत्र न्यायाधीश चंद्रकिशोर बारपेटे ने हाटपिपल्या थाना के दहेज प्रताड़नाऔर हत्या के मामले में समहत्वपुर्ण फैसला सुनाते हुए मृतिका की सास व ससुर को आजीवन कारावास सहित अर्थदंड की सजा सुनाई। घटना अक्टूबर 2021 को मृतका के ससुराल करनावद में घटी थी। जिसमें मृतका ने मृत्यु पूर्व बयान भी दिया था। ए जी पी अखिलेश मंडलोई द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मृतका वंदना पति रवि का विवाह वर्ष 2018 में ग्राम लोहार पीपल्लीया के जीतेन्द्र के साथ हुआ था। जीतेन्द्र को मिर्गी की बीमारी थी इसलिए वंदना की यह शादी तोड़ी गई और फिर से वर्ष 2020 में सांवेर जिला इंदौर में आयोजित एक विवाह सम्मेलन में उसका विवाह करनावद निवासी रवि के साथ हुआ। शादी के समय वंदना को कूलर, सोफे, अलमारी, टेबल व दिवान आदि दिलवाए गए थे।
शादी के बाद वंदना अपने ससुराल करनावद आ गई और वहीं रहने लगी। 9 अक्टूबर 2021 को रवि अपनी पत्नी वंदना को जली हुई अवस्था में एम वाय अस्पताल इंदौर लेकर गया। जहां पर उपचार के लिए उसे भर्ती किया गया। वंदना की हालत नाजुक होने की वजह से पुलिस ने तहसीलदार को बुलाकर मृत्यु पूर्व उसके बयान करवाए। वंदना ने तहसीलदार को बताया कि उसकी सास सुमित्रा उर्फ शारदा पति जगदीश गोयल और ससुर जगदीश पिता बापूजी गोयल उसे दहेज के लिए टार्चर करते थे। घटना वाले दिन सास-ससुर ने घाट का गेट लगा दिया। सास ने उसे पकड़ा और ससुर ने घासलेट डालकर माचिस से आग लगा दी। उसके बाद ससुर मोटर साइकिल पर कहीं चला गया और सास टीवी चलाकर चिल्लाने लगी व उस पर पानी डाल दिया।
गांव वाले एकत्रित हुए तो उसका पति, दादी सास और पड़ौसी उसे लेकर अस्पताल लेकर आए। हाटपिपल्या पुलिस को जब जानकारी मिली तो उप निरीक्षक संतोष परमार मौके पर पहुंचे तो उन्होंने पाया कि घटना स्थल को धो दिया गया है। परमार ने वहां से मृतका के जले हुए कपड़ो के टुकड़े, केरोसिन की कुप्पी और माचिस की डिबिया जब्त की। अगले दिन वैज्ञानिक अधिकारी आरसी भाटी ने घटना स्थल का मुआयना किया और पुलिस को निर्देश दिए। जिस पर थाना प्रभारी एसएस मुकाती ने जली हुई सीमेंट की खुरचन, सादी खुरचन और छत से केरोसिन की गंध को रुई से पौंछकर कर जब्त किया। 11 अक्टूबर को उप निरीक्षक परमार एमवाय अस्पताल इंदौर पहुंचे तो वहां मृतका ने वही बयान दिया जो तहसीलदार के सामने दिया था। 19 अक्टूबर को वंदना की मौत हो गई। जिस पर पुलिस ने मृतका नवविवाहित थी। इसलिए प्रकरण में आगे की जांच एसडीओपी बागली ने की। जिसमें उन्होंने मृतका की माता, बहन व मामा सहित पड़ौसियों एवं अस्पताल ले जाने वाले एवं अन्य लोगों के कथन दर्ज किए। कथनों में यही तथ्य उभर कर कर आया कि आरोपी मृतका से दहेज की मांग करते थे और प्रताड़ित करते थे।
सागर प्रयोगशाला से प्राप्त प्रतिवेदन में मृतका के कपड़ों, सर के बालों और सीमेंट की खुरचन में केरोसिन पाया गया। विचारण के दौरान न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुना। विचारण में मृतका की माता संगीता के कथन में यह बात आई थी कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के सम्मेलन में शादी हुई थी उसके 51 हजार रूपए भी वंदना से बार-बार मांगते थे। न्यायालय में मृत्यु पूर्व कथन दर्ज करने वाले तहसीलदार महेंद्रसिंह गॉड गोड़ ने भी अपना बयान दिया। सभी पक्षों पर विचार करने के बाद न्यायालय ने आरोपित जगदीश और सुमित्रा उर्फ़ शारदा को दोषसिद्ध करार दिया। साथ ही दोनों आरोपियों को हत्या की धारा में आजीवन कारावास एवं 2 हजार रूपए का अर्थदंड, भा. द.स की धारा 304 बी के तहत 7 वर्ष के कठोर कारावास, भा.द.स की धारा 498 ए में 2 वर्ष का कठोर कारावास व दो हजार रूपए का अर्थदंड और धारा 4 में 6 माह के कठोर कारावास एवं 1 हजार रूपए के अर्थदंड की सजा से दण्डित किया। अर्थदंड की राशि नहीं जमा करने पर पृथक से अतिरिक्त कारावास की भी व्यवस्था की।