जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक जैन ने अपने आदेश में कहा है कि अनुदान प्रदान शैक्षणिक संस्थान व्यक्तिगत कोष से अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने स्वतंत्र है। सरकार ऐसे कर्मचारी के लिए अनुदान राशि प्रदान नहीं करेंगी।
जबलपुर निवासी कौशल कुमार कुशवाहा की तरफ से याचिका दायर की गयी थी कि उसके पिता अनुदान प्राप्त शैक्षणिक संस्थान में कार्यरत थे। उनकी मृत्यु के बाद उसने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। जिला शिक्षा अधिकारी ने सितंबर 2017 में जारी आदेश में कहा था कि अनुदान प्राप्त शैक्षणिक संस्थान अनुकंपा नियुक्ति देने स्वतंत्र है परन्तु नियुक्त कर्मचारी के लिए शासन द्वारा अनुदान प्रदान नहीं किया जायेगा। जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश को चुनौती देते हुए उक्त याचिका दायर की गयी थी।
याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि राज्य सरकार ने निजी शैक्षणिक संस्थान में अनुकंपा नियुक्ति देने के निर्देश जारी किए थे। सरकार की तरफ से एकलपीठ को बताया गया कि उक्त नियमों में संशोधन किया गया था। जिसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने संशोधित नियमों को निरस्त कर दिये थे। जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2000 से पहले के कर्मचारियों पर संशोधित नियम प्रभावी नहीं होने के आदेश जारी किये थे। इसके बाद सरकार की तरफ से आदेश जारी किये गये थे कि अनुदान प्राप्त अशासकीय शालाओं में सेवानिवृत्ति तथा अन्य कारणों से रिक्त हुए पदों पर नवीन नियुक्तियां नहीं की गयी। उक्त पद अमान्य करते हुए अनुदान प्रदान नहीं किया जायेगा। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है सरकार ने डाइग कैडर के तहत निर्णय लिया है। एकलपीठ ने उक्त आदेश जारी करते हुए याचिका का निराकरण कर दिया।