20 आरोपियों के घरों पर दबिश
नवभारत न्यूज
इंदौर। नगर निगम के फर्जी बिल घोटाले को लेकर आज ईडी ने 1.25 करोड़ नकद और 20.8 करोड़ के खाते फ्रीज कर दिए। आरोपियों के 20 ठिकानों पर छापे डाले गए। ईडी ने सबसे पहले संयुक्त संचालक मुख्य आरोपी और ठेकेदारों के घर की तलाशी ली।
प्रवर्तन निदेशालय के इंदौर सब रीजनल कार्यालय ने अधिकृत जानकारी देते हुए बताया कि मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 के तहत फर्जी बिल घोटाले में 5 और 6 अगस्त को 20 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की गई। छापे के दौरान विभिन्न जगहों पर आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल सामग्री, 1.25 बेहिसाब नकदी, बैंक खाते , सावधि जमा, म्युचल फंड और इक्विटी के 20.8 करोड़ रुपए फ्रिज किए गए।
फर्जी बिल घोटाले में ईडी ने सबसे पहले संयुक्त संचालक मुख्य आरोपी अनिल गर्ग और निगम कार्यपालन यंत्री अभय राठौर के घर छापामार कार्रवाई की । उक्त दोनों मास्टर माइंड के अतिरिक्त निगम के राजकुमार सालवी, ठेकदार रेणु वढेरा ,हरीश श्रीवास्तव,मोहम्मद साजिद,एहतेशाम पिता बिल्किस खान, जाहिद खान,मोहम्मद सिद्धकी,उदयसिंह भदौरिया, मुरलीधर और गोतम व्यास के घरों के अलावा अन्य कई ठेकेदारों घर छापे डाले।
ध्यान रहे कि इस घोटाले में पूर्व महापौर और विधायक मालिनी गौड़, लेखा अपर आयुक्त वीरभद्र शर्मा के अलावा भी कई अन्य अधिकारी जांच के घेरे में है, जिनकी पुलिस अलग से जानकारी जुटा रही है।
पुलिस विभाग की एफआईआर के आधार पर कार्रवाई
ईडी ने पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर कार्रवाई की है, जिसमें जमीन पर काम नहीं होने , लेखा विभाग द्वारा सत्यापन नहीं करने, निगम अधिकारियों द्वारा काम नहीं देखने और ऑडिट विभाग द्वारा बिना देखे और जांच के पेमेंट पास करने मुख्य कारण है। फर्जी बिल घोटाले में पुलिस ने निगम कार्यपालन यंत्री अभय राठौर, संयुक्त संचालक अनिल गर्ग, उदयसिंह भदौरिया, चेतन भदौरिया, राजकुमार सालवी, समरसिंह , सहायक लेखा अधिकारी रामेश्वर परमार के साथ ठेकेदार मोहम्मद सिद्धकी, मोहम्मद साजिद, रेणु वढेरा, एहतेशान, मुरलीधर, गोतम व्यास सहित 20 से ज्यादा आरोपी बनाए है। आरोपियों के खिलाफ धारा 420,467,468,474, 120 बी और 34 में प्रकरण दर्ज है। इसमें से मुरलीधर की अग्रिम जमानत हो चुकी है। सभी आरोपी जेल में है।