भारत के विनिर्माण क्षेत्र में जुलाई में तेजी बरकार, चीन, अमेरिका में संकुचन के संकेत

नयी दिल्ली, 01 अगस्त (वार्ता) विनिर्माण उद्योगों की गतिविधियों में तेजी-नरमी का संकेत देने वाली एक प्रतिष्ठित मासिक रिपोर्ट के अनुसार भारत में विनिर्माण क्षेत्र में जुलाई माह में तेजी का दौर बना रहा। इस बीच चीन और अमेरिका में विनिर्माण क्षेत्र में संकुचन के दौर आया हुआ है।

गुरुवार को जारी एसएंडपी ग्लोबल के भारत के विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों के क्रय प्रबंधकों के सर्वे पर आधारित सूचकांक (मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई) जुलाई, 2024 में 58.1 पर रहा। यह लगभग इससे पिछले माह (जून) के 58.3 के स्तर के बराबर है।

भारत के विपरीत चीन में कैक्सिन/एसएंडपी ग्लोबल विनिर्माण पीएमआई सूचकांक जुलाई में 49.8 पर आ गया, इससे पहले यह जून में 51.8 था। चीन का मैन्युफैक्चरिंग सूचकांक गत वर्ष अक्टूबर के बाद के सबसे निचले स्तर पर है।

इसी तरह अमेरिका का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई घट कर जून के 51.6 से जुलाई में 49.5 अंक पर आ गया।

इस सूचकांक का 50 से ऊपर रहना विनिर्माण उद्योग के कारोबार में विस्तार का संकेत माना जाता है जबकि उससे नीचे रहना संकुचन का संकेत है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में नए ऑर्डर और उत्पादन की वृद्धि दर हल्की नरम पड़ने के बावजूद देश के विनिर्माण क्षेत्र ने जुलाई में प्रभावशाली वृद्धि का सिलसिला बनाए रखा।

रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत में इस समय मांग और रोजगार में विस्तार का पिछले 13 वर्ष के सबसे अधिक तेजी का दौर चल रहा है। इसमें कहा गया है कि बढ़ती माँग ने कीमतों पर दबाव भी डाला है तथा जुलाई में उत्पादन सामग्री की लागत की वृद्धि दर लगभग दो वर्षों में सबसे तेज़ दरों में रही है।

स्टॉक्सबॉक्स के बाजार शोध प्रभाग के प्रमुख मनीष चौधरी ने कहा, “भारत में विनिर्माण गतिविधि में वृद्धि जारी रही, हालांकि वृद्धि की गति हल्की धीमी हुई है। हमारा मानना ​​है कि सूचकांक में यह गिरावट चिंताजनक नहीं है क्योंकि नए निर्यात ऑर्डर के कारण गतिविधियां विस्तार के चरण में बनी हुई हैं। हम उम्मीद करते हैं कि चुनाव और बजट के बाद गतिविधियों में अब और तेजी आएगी तथा वृहद आर्थिक पृष्ठभूमि में सुधार के कारण वैश्विक बाजारों से ऑर्डर में वृद्धि होगी, जिससे विनिर्माण गतिविधि और मजबूत होगी।”

उन्होंने कहा, “ हम कच्चे माल और श्रम दोनों पर बढ़ते लागत दबावों पर बारीकी से नज़र रखेंगे, क्योंकि इससे भारत में विनिर्माण गतिविधि में सुधार के समक्ष चुनौती पैदा हो सकती है।”

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